जापान की युवतियों में संस्कृत भाषा सीखने की कितनी ललक है कि तेरह जापानी युवतियाँ भारत के गुजरात में पोरबंदर के नजदीक कुछडी गाँव में आकर आर्ष संस्कृति तीर्थ आश्रम में मात्र 36 दिन में ही संस्कृत बोलने लगी है । इस आश्रम में मंत्रोच्चार, वेदांत उपनिषद् व गीता का अध्ययन व ज्ञान प्राप्त कर रही हैं । गौरतलब है कि जापान के क्वोटा गाँव में पराविद्या केंद्र आश्रम में पिछले 10 वर्षों से गीता का जापानीज भाषा में अनुवाद करके जापानी विद्यार्थीगण भारतीय संस्कृति का अध्ययन कर रहे हैं ।
एक तरफ भारत में अंग्रेजी सीखने की ललक है वहीं जापान के लोग संस्कृत सीखकर भारतीय वैदिक ज्ञान को आत्मसात् करके जीवन को सफल बनाने की कोशिशों में लगे है । विचार करें, भारत की युवापीढ़ी पुन:आत्मनिरीक्षण करे कि वह कहाँ जा रही हैं !
हमें पुनः अपने मूल स्त्रोत वैदिक ज्ञान की तरफ मुड़ना होगा वरना एक समय आएगा कि हमें अपने ही भारत के वैदिक ज्ञान को विदेशियों से लेने की नौबत आएगी उससे पहले हम भारतीय स्वयं जगें व अन्यों को जगाएं । अपने बच्चों को आर्ष संस्कृति तीर्थ आश्रम जैसे स्थानों पर वैदिक ज्ञान प्राप्त कराने के लिए भेजें ।