महर्षि रमण... कि जिन्होंने मुझे परोक्ष रूप से अत्यंत प्रभावित व मार्गदर्शित किया है । अध्यात्म पथ पर अग्रसर करने के लिए वे आज भी सूक्ष्म रूप से प्रेरित करते हैं। जिनके जीवन व उपदेशों से वेदांतिक जीवनशैली की ओर आगे बढ़ने के लिए नव उत्साह का संचार होता है । ऐसे महर्षि रमण कि [...]
नो फियर, नो फेल्योर । नो फियर ऑफ फेल्योर ! अपने भीतर के डर को संपूर्ण रूपसे खत्म कर दीजिए । कदम आगे बढाइये, दृढ़ता के साथ । डर के आगे जीत है। अपना बेस्ट दीजिए । शुरुआत तो कीजिए, बिना डरे, बिना झिझके । अगर आपने शुरुआत ही नहीं की, तो कुछ सालों बाद वहीं के वहीं पायेंगे खुदको - जहाँ आप अभी हैं । अत: मुश्किल, कठिन, असंभव से दिखने वाले कार्य की शुरुआत कीजिए, बिना डरे.... और आप पायेंगे... आप सफल होते जा रहे हैं।
मैत्री होती है हवा की तरह निर्बन्ध। सूर्य प्रकाश की तरह सर्वव्यापी । जीवन को मधुर, सुखमय बनाती है मैत्री। गरीब अमीर के बीच की खाई मिटाती है मैत्री। आशा है - हमारी मैत्री हमारे जीवन में परस्पर ज्ञान, प्रेम, अनुभव को विकसित करेगी। दुनिया को बेहतर बनाएगी !
मैं संपूर्ण आदर और श्रद्धा के साथ मेरे मार्गदर्शक, आचार्य, सद्गुरु को मैं विश्व में जहाँ भी हूँ, वहीँ से प्रणाम करता हूँ । जो कुछ दोष हैं वे मेरे हैं । और जो कुछ भी मेरे जीवन में सद्गुण हैं, अच्छाइयाँ हैं वो सब उनकी तरह से मिली हैं । मेरे जीवन की श्रेष्ठता [...]
‘‘बुद्धं शरणं गच्छामि । धम्मं शरणं गच्छामि । सत्यं शरणं गच्छामि ।’’ हमारे अंदर समता, समत्वदृष्टि आ जाए और सदैव प्रसन्न रहने की कला आ जाए, तो मौज ही मौज है ! आनंद ही आनंद है... !! तो बुद्ध पूर्णिमा के इस अनोखे अवसर पर सभी देशवासियों को और विश्ववासियों को मैं बुद्ध पूर्णिमा की [...]
आँवला नवमी आज के दिन किया गया जप, दान, तर्पण आदि का अक्षय पुण्य होता है। आज कपूर या घी के दीपक से आँवला वृक्ष के समीप दीपदान अवश्य करें। निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण आँवले के वृक्ष की प्रदक्षिणा करते हुए करें : यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च । तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे पदे [...]
नवरात्रि के अंतिम दिन हो अपनी जननी मातृशक्ति का पूजन ! जितने भी समर्पित सेवारत साधक भाई बहने हैं, उनके समर्पण, गुरुप्रेम, सेवा भाव और निष्ठा के पीछे उनके माता पिता का महत्व पूर्ण योगदान और हाथ है ।पूज्य साईं जी का यह कहना है कि नवरात्रि का अंतिम दिवस यानी दशहरे से एक [...]
मैं और मेरा परिवार लगभग २० वर्षों से पूज्य साँईंजी से जुड़ा हुआ है । हम सभी सौभाग्यशाली हैं की हमें उनका निरंतर गुरु प्रेम मिलता रहा । उनकी करुणा का बखान करने के लिए शब्द नहीं है । मेरी बेटी की शादी को ८ वर्ष होने पर भी बच्चा नहीं हो रहा था । [...]
इस दुनिया में हम नहीं चाहते हों ऐसा, न अच्छा लगता हो ऐसा, और कभी सोचा भी न हो ऐसा हो जाता है। हकीकत ये है कि ये सिलसिला अनादिकाल से चल रहा है और चलता ही रहेगा । इस कटु सत्य को स्वीकार करते हुए, बैचेन, अशांत और तनावग्रस्त रहने की अपेक्षा ईश्वर की [...]
Janmashtami Special | Shri Krishna Divya Charitra - श्री कृष्ण दिव्य चरित्र जन्माष्टमी... कृष्ण का नाम लेते ही रस की अनुभूति है, जिसमें कर्षण है अर्थात् खिंचाव है, आकर्षण है, आनंद है, सुख है, शांति है, उत्सव है, पौरुष है, वो है कृष्ण... जो दुःख के समय भी मलिनता को नहीं प्राप्त होता, वो है [...]
आनंद मंगलं... शुभं भवतु कल्याणं ! आप सभी को गुरुपूर्णिमा की शुभकामनाएँ ! बहुत दिनों बाद पत्र लिख रहा हूँ । मेरा आरोग्य अच्छा है... और मन शांत, सम, प्रसन्न है । कोरोना काल में अधिकतर घरों में रहने से लोगों में, विद्यार्थियों में मोटापा बढ़ा है । मोटापा घटाने की एक सरल पद्धति प्रस्तुत [...]
चतुर्मास व्रत चतुर्मास में भगवान नारायण एक रूप में तो राजा बलि के पास रहते हैं और दूसरे रूप में शेष शय्या पर शयन करते हैं, अपने योग स्वभाव में, शांत स्वभाव में, ब्रह्मानंद स्वभाव में रहते हैं। अतः इन दिनों में किया हुआ जप, संयम, दान, उपवास, मौन विशेष हितकारी, पुण्यदायी, साफल्यदायी है। भगवान शेषशय्या [...]
अक्षय तृतीया अनंत फलदायक होती है । इस तृतीया को किए गए सारे काम शुभ फल देने वाले होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है । अक्षय तृतीया नि:स्वार्थ भाव से जरूरतमंदों को दान करने का महापर्व है।
आज के पथभ्रष्ट और दिशाहीन होते जा रहे युवाओं के लिए चरित्र का सर्वोत्तम आदर्श कोई है तो वह हनुमानजी है। पाश्चात्य अंधानुकरण आदि से जो भी अपना पतन कर चुके हैं वे भी हनुमानजी का स्मरण, चिंतन, पूजन व अनुसरण कर अपना जीवन ओजस्वी-तेजस्वी बना सकते हैं । ( स्रोत : विश्वगुरु ओजस्वी पत्रिका )
महावीर कौन ? महावीर को दुनिया पूजती है । जैन धर्म के महावीर... वीर नहीं महावीर । पूछो उन्होंने क्या किया था ? उन्होंने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर ली । शत्रु कौन ? ये काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अभिमान । ये जो अपने मन में रहनेवाले दोष है न उसके ऊपर शौर्य..