श्रेष्ठ लोगों का संगठित होकर मैत्री युक्त प्रयास विश्व को बेहतर बनाता है । मैं आपसे मैत्री करना चाहता हूँ । मैत्री होती है हवा की तरह निर्बन्ध । सूर्य प्रकाश की तरह सर्वव्यापी। जीवन को मधुर, सुखमय बनाती है मैत्री । गरीब अमीर के बीच की खाई मिटाती है मैत्री । श्री कृष्ण सुदामा की मैत्री कितना सुन्दर प्रमाण है ! उनकी मैत्री आज भी कितनी प्रेरणा देती है । आपको मैं मेरे मित्र वर्ग में शामिल करना चाहता हूँ । क्या स्वीकार है आपको मुझसे मैत्री (दोस्ती) का यह प्रस्ताव ? मुझे आशा है, कि निराश नहीं होना पड़ेगा, आप अवश्य स्वीकार करेंगे मेरा यह मैत्री प्रस्ताव ! मैत्री का कारण मैत्री ही है । आशा है – हमारी मैत्री हमारे जीवन में परस्पर ज्ञान, प्रेम, अनुभव को विकसित करेगी । दुनिया को बेहतर बनाएगी !