कितना खराब कर चुके हम इस धरती को ? कभी सोचा है आपने ? कितना बिगाड़ चुके, कितना बिगाड़ रहे हैं ? सोचो, फिर से सोचो । हम धरती को बिगाड़ रहे हैं, समुद्र को बिगाड़ रहे हैं, आसमां को बिगाड़ रहे हैं । 

कुछ समय में यह धरती हमारे रहने लायक नहीं रहेगी । जिस माहौल में हमारा बचपन बीता, वो माहौल हमारे बच्चों को नहीं मिला । आनेवाली पीढ़ियों को हम, आज से भी बुरी कल देने पर मानों तुले हैं । अब अन्य ग्रहों या अंतरिक्ष कॉलोनी में बसने की तैयारी शुरू करनी होगी क्योंकि हमने हमारा ग्रह इतना खराब कर दिया है । 

लेकिन अगर हम आज और अभी से यह तय कर लें, तो बदलाव की शुरुआत कर सकते हैं । हमें स्वयं को बदलना होगा । आस-पास के लोगों को भी जाग्रत करना होगा । बदलाव में उनका साथ लेना होगा । 

चाहे कितनी ही मुश्किल, मुसीबत वाली जिंदगी हो, हमें कुछ करना होगा और सफलता मिलेगी ही इस विश्वास के साथ एक नई शुरुआत करनी होगी । कोशिश करनी होगी और सफलता मिलेगी यह भरोसा रखना होगा । कुछ भी हो हमें, जो हमने सोचा है वह बदलाव के काम हमें छोड़ने नहीं हैं । 

अगर आपको प्रेम मिला है जीवन में तो आप भाग्यशाली हो । सच्चा प्रेम आपको पहचानना होगा । आप प्रेम की कद्र करियेगा । प्रेम का स्वीकार करियेगा तो कभी पछतावा न होगा । प्रेम आपको बल देगा । हिम्मत देगा । ताकत देगा । 

हमें अब धरती, आसमां व समुद्र – खराब न हो वह उपाय अपनाने होंगे । बिगाड़ रोकना ही होगा किसी भी तरह ।

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