आनंद में रहकर आनंद का विस्तार करें…
आनंद में रहकर आनंद का विस्तार करें…
मैं एक सूत्र दे रहा हूँ –
‘स्वयं को बदलो, देश को बदलो, दुनिया को बदलो ।’
दुनिया और देश को बदलने के लिए शुरुआत हम स्वयं से करें । आजकल ऐसा देखा जा रहा है कि लोगों की दिनचर्या का अधिकांश हिस्सा परनिंदा और परदोषदर्शन में बीत जाता है । निंदामुक्त चिंतन और व्यवहार हमारी जीवनशैली में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है । कभी लगता है कि टी.वी. पर चलनेवाली डिबेट, बहस – वातावरण को ज्यादा अशांत बना रहे हैं । एक तरफ हैप्पीनेस मंत्रालय बन गया है मध्यप्रदेश में और भारत में भी हैप्पीनेस बढ़े ऐसे प्रयास हो रहे हैं, परंतु छोटे-छोटे कई कारण मनुष्य के जीवन को दु:खी, अशांत बना रहे हैं । आत्महत्याएँ बढ़ रही हैं । तनाव बढ़ रहा है । एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप, परदोषदर्शन, परनिंदा से शक्ति की बर्बादी हो रही है । क्या ये समय हम किसी रचनात्मक कार्य में नहीं लगा सकते ? दूसरों की बुराई करके और दूसरों की बुराई देखकर हम अपने मन-मस्तिष्क को कब तक कचरा पात्र बनाये रखेंगे ?
आज के आधुनिक युग में मनुष्य अनेकानेक शारीरिक-मानसिक रोगों से ग्रस्त हो गया है । जीवन में हर व्यक्ति खुश रहना चाहता है, पर सवाल ये है कि नियमित खुश कैसे रहा जाये, ये युक्ति, ये हैप्पी लाइफ की आइडिया लोग नहीं जानते हैं । ऐसा नहीं है कि आपको जीवन में बड़ी-बड़ी चीजें मिलने पर ही खुशी मिलती है । अक्सर लोग समझते हैं कि महँगी चीजें, सुंदर घर, सुंदर स्त्री, महँगी सुंदर गाड़ी, अपार धन मिलने से खुशी मिलती है । परंतु सुंदर फूलों को देखने से भी खुशी मिलती है । उनकी खुशबू भी मन को तरोताजा कर देती है । आप बारिश की फुहार से खुश हो सकते हैं, उदय या अस्त होते हुए सूर्य को देखकर खुश हो सकते हैं, आसमान में उड़ते पक्षियों को देखकर खुश हो सकते हैं, बहते झरनों को, नदी या तालाब को देखकर खुश हो सकते हैं, संगीत से खुश हो सकते हैं, किसी संत-गुरु-भगवान-महापुरुष के दर्शन से खुश हो सकते हैं । ऐसे अनेक अवसर हैं आपकी खुशी के लिए ! खुशी के लिए आप मन की आँखें खोलें !
मन में ‘अरे, वाह ! वाह ! क्या बात है !’ का भाव होने पर आप खुशियाँ अपने पास खींचने लगते हैं । खुशी का एहसास करने लगते हैं । किसी शेर या शायरी को सुनाकर या सुनकर खुशियों का लेन-देन कर सकते हैं । स्वयं मुस्कुराकर, आल्हादक अभिवादन या आलिंगन पाकर-देकर खुशियाँ ले सकते हैं, दे सकते हैं । अपनी लाइफ में हैप्पीनेस बढ़ा सकते हैं ।
खुशी पैदा करने की कला आनी चाहिये । जब आप रोजमर्रा की जिंदगी में खूबसूरती और जादू महसूस करने लगते हैं, तो धीरे-धीरे पूरी जिंदगी में इसका विस्तार होने लगता है ! आपको जीवन की हर चीज में और काम में आनंद आने लगता है और आप नेगेटिव से पॉजिटिव इंसान बनने लगते हैं ।
अपने जीवन को प्रसन्नता से भरने के लिए सोचिये, आपको क्या करना है ! आप स्वयं तय कीजिये ! आप गरीबों को कुछ उपहार दे सकते हैं । बच्चों को चोकलेट-टॉफी बाँट सकते हैं । किसीको कपड़े-बर्तन दे सकते हैं, कभी फल बाँट सकते हैं, पड़ोसियों की मदद कर सकते हैं, स्वयं खुश रहने के लिए आप दूसरों को खुशियाँ देने का प्रयास कर सकते हैं ।
प्रसन्नता, मुस्कुराहट आपके चहरे पर चमकती रहे, ये आपके ऊपर है कि आप किस तरह स्वयं को और दूसरों को आनंद के सागर में डुबो सकते हैं ! आप स्वयं को देखने का नजरिया बदलें ! आप खुद को क्या मानते हैं ये महत्त्वपूर्ण है । आप स्वयं को जो भी मानते हैं, उस पर विचार करते हैं और वही – वैसा ही सच्चाई बनने लगता है ।
खुद को सकारात्मक ऊर्जा – पॉजिटिव एनर्जी मानें और आप देखेंगे, महसूस करेंगे कि आपके चारों तरफ खुशियों का माहौल सृजित हो रहा है ! काम के दौरान ब्रेक लें । हररोज एक जैसा काम न करें और अगर एक जैसा काम करना ही है, तो हर बार नए अंदाज से, नए तरीके से करें । अपने दिमाग को कुदरत की खूबसूरती और शांति से परिपूर्ण कर दें ।
गलतियाँ होने पर अपसेट होने की बजाय धैर्य से काम लें । सीखने की कोशिश करें ! परेशानियाँ आने पर डटे रहें । हारने के बावजूद फिर से जीतने की उम्मीद बनाये रखें । हर हाल में हर परिस्थिति में मन की प्रसन्नता को बरकरार रखें ।
इसीलिए अब स्वयं को बदलें, फिर देश को और दुनिया को बदलें !
ये संभव है । चलो, आज और अभी से प्रयास करना शुरू करें ।
अत्र-तत्र-सर्वत्र आनंद ही आनंद है ।
स्वयं आनंद में रहें, समाज को आनंद में रखें, देश-दुनिया को आनंद की जरुरत है ।