प्रसन्नता को अपना स्वभाव बना लो
प्रसन्नता को अपना स्वभाव बना लो
मेरे आत्मस्वरूप वत्स… !
भविष्य को लेकर सपने देखना, अतीत से जुड़े इतिहास से कहीं ज्यादा सुन्दर होता है ! अत: जो बीता, उसे भूलो । अपनी क्षमताओं को पहचानो । भविष्य के उज्ज्वल सपने देखो, उन्हें पूर्ण करने में जुट जाओ !
मैं तुम्हें असीम ऊर्जा से भर देना चाहता हूँ । मैं तुम्हें सभी चिंताओं से, भयों से मुक्त देखना चाहता हूँ । तुम सभी प्रकार की विपदाओं से उपर उठो । स्वयं का बोध प्राप्त करो । प्रसन्नता को अपना स्वभाव बना लो ! सांसारिक बातों की उलझनों से निकलकर एक नई दिशा की ओर आगे बढ़ो !
हताशा-निराशा कदापि तुम्हें घेरे नहीं । हिम्मत, बल, आशा, उत्साह से परिपूर्ण बने रहो ।
मेरा आशीर्वाद, मेरी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ हैं । आगे बढ़ो । निर्भीक होकर… निश्चिंत होकर… डर और मुसीबतों से पार होने का ईश्वर तुम्हें बल प्रदान करें ।