पुरुषों के अधिकार के लिए लड़नेवाली महिला एथलीट ऋचा सैनी
मैं यह जानकर प्रसन्न हूँ कि इंटरनेशनल एथलेटिक्स ऋचा सैनी ने भारत में पुरुष आयोग के गठन के लिए मुहीम शुरू की है । वे राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने जा रही हैं । वर्तमान कानून कि जो पुरुष व महिला में भेदभाव करते हैं, ये समानता के विरुद्ध है ।
कई महिलाओं/युवतीयों/किशोरियों ने माहिला सुरक्षा के नाम पर बने कानूनों का दुरुपयोग किया है, कर रही हैं । दुष्कर्म बलात्कार के कानून (IPC – 376, पोक्सो आदि) एवं दहेज प्रताड़ना घरेलू हिंसा कानूनों का दुरुपयोग करके न जाने कितने पुरुषों को व उनके परिवारों को प्रताड़ित किया जाता है और न जाने कितने पुरुष हनी ट्रेप में फँसाये जाते हैं, झूठे दुष्कर्म-रेप केस में सालों तक जेल में बंद रहते हैं ।
क्या कभी एक हाथ से ताली बजती है ? क्या हर बार सिर्फ पुरुष ही बलात्कार, दुष्कर्म का दोषी होता है ? क्या कोई युवती या महिला पुरुष से जबरदस्ती यौन संबंध नहीं बना सकती ? क्या आपने कभी सुना है या पढ़ा है कि किसी युवती या महिला पर रेप केस, दुष्कर्म केस दर्ज हुआ ? बिना इच्छा, बिना मर्जी के जब पुरुषों को भी शारीरिक संबंध बनाने के लिए जबरदस्ती मजबूर किया जाए, तब अपने मोहजाल में फँसानेवाली युवती/महिला के खिलाफ भी दुष्कर्म/बलात्कार का केस दर्ज होना चाहिए ।
इंटरनेशनल एथलेटिक्स ऋचा सैनी ने पुरुष आयोग के लिए मुहिम छेड़ी है । हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल करेंगी । उनका कहना है महिला आयोग महिलाओं के हक की रक्षा करता है, उसी तर्ज पर पुरुष आयोग बनाया जाए । ऐसा सिस्टम हो जहाँ पुरुष कंपलेंट दर्ज करा सकें और बिना पूर्वाग्रह उचित कार्यवाही हो । ऋचा ने पाँच सदस्यों की टीम बना रखी है, जो महिलाओं से प्रताड़ित पुरुषों को नि:शुल्क मानसिक, कानूनी और आर्थिक सहायता देती है । ऋचा के पास 2 साल में 106 केस आए । इसमें 75 केस में समझौता कराया । 22 मामलों में अग्रिम जमानत कराई ।
ऋचा के भाई भी दहेज प्रताड़ना के शिकार हुए थे
ऋचा बताती हैं मेरा ममेरा भाई फ्रांस में नौकरी करता था । घरवालों की पसंद से उसने शादी की । कुछ दिनों बाद पति-पत्नी में अनबन हो गई । पत्नी ने ‘ममेरे भाई, मामाजी और मामीजी पर दहेज, मेंटनेंस और हिंसा का केस कर दिया । आखिर में भाई ने आत्महत्या की कोशिश की । एक अन्य मामले में पत्नी से प्रताड़ित होकर मेरे दोस्त ने आत्महत्या कर ली थी ।
अग्रिम जमानत और समझौता कराया
केस 1 – झोटवाड़ा का एक मामला नवंबर 2020 को आया । छोटे-छोटे विवाद पर बहू दहेज प्रताड़ना में फँसाने की धमकी देती थी । पीहरवाले हर महीने 50 हजार रुपए देने और संपत्ति पत्नी के नाम कराने पर अड़ गए, फिर दहेज का केस लगा दिया । ऋचा ने जमानत कराई ।
केस 2 – 10 साल का कोर्ट केस खत्म कराया
अजमेर का एक केस 10 साल से चल रहा था । पत्नी पोषण भत्ता मांग रही थी । टीम ने इस बात पर केस खत्म कराया कि 18 साल की बेटी की शादी का खर्चा और सारी रस्में पिता पूरी करेंगे ।
‘संविधान के आर्टिकल 226 और 32 में पीआईएल का अधिकार है । पीआईएल की सुनवाई करते हुए कोर्ट सभी तथ्यों और आधार को देखते हुए आयोग गठन के निर्देश प्रदान कर सकती है ।’ (विकास सोमानी, एडवोकेट, राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर)