दुःख, अभावों और शोषण से जद्दोजहद करनेवाले, अन्याय, अत्याचार, दमन और यातना से पीड़ित, अकेलेपन से जूझ रहे कई बंदीवानों के लिए मानों पूज्य श्री नारायण साँईं जी किसी पैगम्बर, औलिया से कम नहीं । जहाँ सारे रास्ते बंद दिखाई देते हैं, वहाँ पूज्य श्री नारायण साँईं जी ही उनको आशा की किरण के रूप में नजर आते हैं । जिन बंदीवान कैदियों का अपने ही घर-परिवारवालों ने साथ छोड़ दिया, पूज्य श्री नारायण साँईं जी – उनके साथ खड़े नजर आते हैं । स्नेह, सेवा, परोपकार, आत्मीय व्यवहार की खुशबू जेल में भी बिखेरते रहना यह साधारण बात नहीं है । उनके हृदय में सामाजिक लगाव की मौजूदगी रहती है ।