‘‘बुद्धं शरणं गच्छामि । धम्मं शरणं गच्छामि । सत्यं शरणं गच्छामि ।’’
हमारे अंदर समता, समत्वदृष्टि आ जाए और सदैव प्रसन्न रहने की कला आ जाए, तो मौज ही मौज है ! आनंद ही आनंद है… !! तो बुद्ध पूर्णिमा के इस अनोखे अवसर पर सभी देशवासियों को और विश्ववासियों को मैं बुद्ध पूर्णिमा की खूब-खूब बधाई देता हूँ और बुद्ध का यह दर्शन आप सबके जीवन में विकसित हो – ऐसी मैं कामना करता हूँ ।