“बुद्धं शरणं गच्छामि ।
धम्मं शरणं गच्छामि ।
सत्यं शरणं गच्छामि ।”
मैं बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म को अलग कर पाने में कठिनाई महसूस करता हूँ । एक ही सिक्के के दो पहलू है । उन्होंने सत्य को कुछ अलग नजरिये से देखा और वही नजरिया हमें बताया । सत्य ही एक है ।
‘एकम सत विप्रा बहुधा वदन्ति ।’
कि सत्य एक है । इसको विद्वानों ने अलग-अलग ढंग से बयान किया है ।
तो ‘सम दर्शनं ।’ सम दर्शन करना । बस ऐसा दर्शन हमारे अंदर विकसित हो जाए, तो सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों में विकसित हो जाए तो ये जो युद्ध की स्थितियाँ है वो नहीं रहेगी । ये विनाश नहीं रहेगा ये उपसंहार नहीं रहेगा । ये विघटन नहीं रहेगा । ये वैर नहीं रहेगा, वैमनस्य नहीं रहेगा फिर तो एकता है, सामंजस्य है, स्नेह है, समवाद है, प्रसन्न्ता है, आनंद ही आनंद है…!
यही बुद्ध ने अपने जीवन और कार्यों से सभी को सीख दी, उपदेश दिया । सभी बुद्धिस्तों को बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर विशेष बधाईयाँ देता हूँ…!!
ॐ नमो ! ॐ शांति !