निष्काम कर्म ही अपना सच्चा मित्र है । जैसे पिता पुत्र को अशुभ की ओर से बचाकर शुभ की ओर लगाता है, वैसे ही निष्काम कर्म अपने को श्रेष्ठता प्रदान करते हैं ।
(Selfless action is our true friend. Just as a father safeguards his son from the inauspicious and deploys him in the auspicious one similarly selfless deeds endow us with excellence.)