ज़ीरो वेस्ट… वैदिक जीवनशैली की ओर !
(विश्व पर्यावरण दिवस : 5 जून)

विश्व के हर मानव को जीरो वेस्ट, प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली की तरफ, वैदिक जीवनशैली की तरफ आगे बढ़ने के लिए प्रयास करना चाहिए । धीरे-धीरे करके हम प्लास्टिक फ्री जीवन की ओर, प्लास्टिक फ्री जीवनशैली की ओर, वैदिक जीवन की ओर आगे बढ़ सकते हैं।
मैं मानता हूँ कि पूरी दुनिया में आज सबसे बड़ा काम है लोगों को प्रकृति की तरफ मोड़ना। पर्यावरण से प्रेम करना सीखाना ! उनके भीतर आत्मबल जगाना और परंपरागत रुडियों से, मान्यताओं से उन्हें मुक्ति दिलाना ।

 

साँईंजी का जीरो वेस्ट पर इंस्पायरिंग Thought !

एक भाई है उनको मैं अच्छे से जानता हूँ । पिछले कुछ महीने पहले महाराष्ट्र में प्लास्टिक के उपयोग को लेकर सरकार ने बहुत कड़े कानून बनाये । जिस भाई को मैं जानता हूँ जहाँ से दूध लेते थे वहाँ पर उन्होंने उनको दूध का बर्तन लाने को कहा । वो भाई नासिक में रहते और रोज सुबह सैर करने जाते और स्टील की डोलची को साथ ले गए । स्टोर पर रख देवे और सैर पूरी होवे तो वो डोलची में वो दूध ले के आवे । पानी डालकर डिब्बा धोवे तो उनको एक संतुष्टि मिले कि मैंने दूध की एक बूंद भी बर्बाद नहीं की । अगर एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की थैली लाते तो वैसे भी बर्बाद ही होती । उनकी बेटी थी वो अजीब मुँह बनाती थी डोलची लेकर जाते समय… लेकिन उनको शर्म नहीं आती क्योंकि वो बचपन में वैसी डोलची लेकर किराने की दुकान से तेल-फेल लेने जाते थे । ये आजकल की पीढ़ी है जिसने ये डोलची लेकर किसी दुकान या उसमें जाते समय किसी को देखा नहीं तो उनको थोड़ा अजीब लगता है । तो उसने भाई ने किसी को समझाया कि प्लास्टिक का इस्तेमाल ऐसे घटा सकते है और समझाया । तो तब से वो एक ऐसा स्टोर खोज रहे थे, जहाँ शेम्पू और तेल और बाथरूम साफ करने का मटेरियल और वॉशिंग लिक्विड ऐसे सारे सामानों पर खरीदने के लिए अपना कंटेनर लाना पड़े और ऐसा स्टोर या ऐसी दुकान ढूँढने पर भी उनको कहीं मिला नहीं । वे ढूँढते रहे फिर वो बैंगलोर में जेपी नगर है वहाँ उन्होंने भारत का पहला सबसे First “ज़ीरो वेस्ट ऑर्गेनिक स्टोर” जिसका नाम है ‘अद्रीश’… उसके बारे में उनको जानकारी मिली । अब उस स्टोर में छत सहित बाकी इंटीरियर भी डलिया में इस्तेमाल सींक से बनाया है और सारे उत्पादन स्टील या टीन के ढक्कन वाले कांच के जार में रखे हैं । परचूरन का सामान हों कि फल हो, सब्जी हो, किचन का सामान हो कि साफ-सफाई की चीजें हो, घर में इस्तेमाल होने वाली चीजें हो, ये पूजा-पाठ और हस्तशिल्प, हेंडीक्राफ्ट और कपड़े-वपड़े… ऐसे छोटे-मोटे 650 से ज्यादा प्रोडक्ट हैं । खास बात क्या है कि सारे उत्पाद, प्रोडक्ट प्राकृतिक है और परंपरागत तरीके से परिष्कृत किये गए हैं ।

वे खेती के लिए पूरी तरह ‘देसी’ बीज जो है वो बेचते हैं और नीम के तने का इस्तेमाल करके सारे प्रोडक्ट प्राकृतिक तरीके से सुरक्षित रखते हैं और अनाज को नियमित रूप से धूप में सुखाते हैं । अगर अपने जितने भी साधक हैं अलग-अलग शहरों में, गाँवों में वो ये पद्धति सीखें तो उनको एक अच्छा प्रोडक्ट और अच्छे ऑर्गेनिक और प्राकृतिक उत्पाद वगैरह मिल सकते हैं और उसको सुरक्षित रखने का तरीका वो सीख सकते हैं ।

इंदौर की लड़की है मनाली सराफ, उसने ये शुरू किया है और रतलाम के रहने वाले लड़के से उसने शादी करी है और दोनों ये स्टोर खोलने के लिए बैंगलोर गए । तो ये मनाली कहती हैं कि ‘भारत में जीरो वेस्ट ऑर्गेनिक जीवन इसको हम वैदिक भारत की जीवनशैली कह सकते हैं “वैदिक लाइफ स्टाइल” और फिर भारत में जिस प्रकार लोग शुद्ध आहार-विहार करते थे । बस इसी तरह का ये कांसेप्ट है और उसी थीम पर ये एक दुकान कहो, स्टोर कहो, ये शुरू करना चाहते थे कि जिसमें कुछ भी प्लास्टिक का ना हो ।’ और उनका ये कहना है कि उनकी दुकान हर रोज 20 हजार प्लास्टिक की थैलियाँ कचरे के ढेर में जाने से बचाता है ।

‘अद्रीश’ नाम की दुकान या स्टोर जिसमें कोई भी अपना रसोई का डिब्बा ले जा सकता है या जितना कम से कम सामान लेना हो, उसे कागज के बैग में ले सकते हैं । जो कि मसालों के लाभ देता है और वो पूरे बैंगलोर में बिना प्लास्टिक की पैकिंग के सामान पहुँचाते हैं । ग्राहकों के घरों तक भी सामान रीफिल भी कराते हैं । हम सभी लोग ये देखते हैं कि रोजमर्रा के जो उत्पाद है, प्लास्टिक में आते हैं, सब्जियों से लेकर, बर्तन, साबुन… उसमें से थोड़ा बहुत ही प्लास्टिक रीयूज हो सकता है ।

और कुछ प्लास्टिक को रीसाइकल डिब्बों में फेंकते हैं और कुछ लोग सोचते हैं कि धरती को बचा लिया । लेकिन जरा  विश्वास करें अमेरिका तक में, जहाँ दुनिया का सबसे ज्यादा प्लास्टिक यूज़ होता हैै, वहाँ ऐसे प्लास्टिक का सिर्फ 8.7% ही रिसाइकल होता है । प्लास्टिक इतना कम करने के इच्छुक जो लोग हैं, जो प्लास्टिक फ्री इंडिया बनाने के लिए सोचते हैं और चाहते हैं । ऐसे लोगों को मेरी सलाह है कि जीवन के एक क्षेत्र से शुरू करें, जैसे शैम्पू की खाली बोतल लाएं और उन्हें रीफिल करने वाले स्टोर से रीफिल कराएं ।

ये बोतल सालों चल सकती है । एक समय में एक कदम उठाएं । इस प्रकार धीरे-धीरे करके हम प्लास्टिक फ्री जीवन की ओर, प्लास्टिक फ्री जीवनशैली की ओर, वैदिक जीवन की ओर आगे बढ़ सकते हैं ।

मैं देख रहा हूँ कि जीरो वेस्ट जो स्टोर है रिटेल बिजनेस में, आने वाले समय में बहुत बड़ा कदम हो सकता है और उसमें सरकार भी सहयोग कर सकती है । तो जो पृथ्वी को बचाना चाहते हैं, धरती के पर्यावरण को बचाने की इच्छा रखते हैं उनको भी सचमुच में बहुत खुशी होएगी । क्योंकि:

अर्थ बचेगा, धरती बचेगी तो हम बचेंगे ।

इसीलिए लोगों को अपनी कुछ सहूलियतें छोड़ने के लिए तैयार होना चाहिए क्योंकि ये ग्रह बचना बहुत जरूरी है तो मानवता बचेगी । वरना ग्लोबल वॉर्मिंग से न जाने कितने देशों में अरबों-खरबों रुपये की तबाही होती जा रही है । आगे इसके पछतावा न हो ।

इसलिए विश्व के हर मानव को जीरो वेस्ट, प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली की तरफ, वैदिक जीवनशैली की तरफ आगे बढ़ने के लिए प्रयास करना जाने-अनजाने भारतीय वैदिक जीवन परंपरा पूरे विश्व में छाने से ही द्यौ: शांति, अंतरिक्ष शांति, पृथ्वी शांति, राप: शांति, जो है वो !
अस्तु ! ॐ शांति !

(https://jantaserishta.com/editorial/zero-waste-stores-are-going-to-be-the-next-big-step-in-the-retail-business-people-should-be-ready-to-give-up-some-of-their-convenience-1128819)

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