कई साधकों को यह सवाल हो सकता है कि गुरुदेव जेल में क्यों गये ? उन्होंने जेल की लीला क्यों की ? वे सर्वसमर्थ होते हुए भी जेल में क्यूँ हैं ? वे चाहे तो जेल से बाहर आ सकते हैं फिर भी जेल में रहने की लीला क्यूँ कर रहे हैं ? कुछ लोग तो उनके सर्व समर्थ होने पर ही शंका कर रहे हैं । चूँकि उपरोक्त सवालों के जवाब – शायद किसी के पास नहीं हैं । अबतक तो ये उत्तर मैं भी नहीं दे पा रहा था पर आज दि. 20/09/2022 को प्रभात – ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि करके सात्विक शांत वातावरण में ध्यान किया और एक आध्यात्मिक योग की पुस्तक पढ़ी उसमें इन सवालों का उत्तर मिला – जो यहाँ प्रस्तुत है ।
ये हो सकता है कि गुरुदेव ने जेल में जाने की लीला इसलिए की हो कि वे जानते थे कि कई साधक मेरे मर्त्य शरीर के प्रति आसक्त हुए हैं और ये आसक्ति उनके आध्यात्मिक उन्नति में कहीं बाधक भी हो सकती है इसलिए वे अपने मर्त्य शरीर के प्रति आसक्ति तोड़कर अपने अमर्त्य चैतन्य शुद्ध बुद्ध शाश्वत स्वरूप से साधकों को जोड़ना चाहते हैं और अमर्त्य कडी के प्रति अधिक सजग बनाना चाहते हों और इसलिए उन्होंने अपने मर्त्य शरीर को साधकों से दूर कर लिया । वे हिमालय भी जाते तो वहाँ भी साधक ढूँढ़कर उनके पास पहुँच जाते थे – लेकिन जेल में उनके पास पहुँचना बहुत कठिन है । उनके शाश्वत वपु को साधकगण जानें – समझें और जीते-जी मुक्त हो जाए, संभव है इसी कारण से उन्होंने यह जेल की लीला की हो !
– नारायण साँई
20/09/2022

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