
दुआएँ तो आँसूओं में खिले हुए फूल हैं…. इसलिए किसीके लिए भी बद्दुआ मत करो, हमेशा दुआऐं करते रहो।
मैं आपके लिए, आप मेरे लिए….
दुआ करते रहें, दुआ मांगते रहें !
हम एक-दूसरे के लिए, अमन-चैन के लिए, खैरियत के लिए, तरक्की के लिए दुआऐं करते रहें ! मुझे यकीन है कि ऐसा करते रहें तो इस जहाँ में खुशहाली बढ़ेगी ।
“कोई गैर नहीं, किसीसे वैर नहीं !”
“इंसान हैं, इंसान से प्यार किया करें ।
मोहब्बत बढ़ाकर नफरत को मिटाया करें ।।”