सूरत से पूज्य श्री नारायण साँईजी का महाशिवरात्रि 2022 निमित्त विशेष संदेश
जैसे एक चादर के चार कोने हैं । अब कोई भी एक कोना पकड़े तो तीन कोने खींचे चले आएंगे । ऐसे ही शिवतत्व समझ में आ जाए तो भी गुरुतत्व आ जाएगा । आत्मतत्व समझ में आ जाए तो भी शिवतत्व समझ में आ जाएगा । ईश्वरो गुरुरात्मेति मूर्तिभेदेविभागिनो । व्योमवद्व्याप्तंदेवाय दक्षिणामूर्तये नमः ।। जो ईश्वर है वही गुरू है वही अपना आत्मा है । मूर्ति के रूप में अलग-अलग विभाग है लेकिन वही देव सबमें अनुस्यूत है । व्योमवद्व्याप्तं – वो व्याप्त है उसे दक्षिणामूर्ति कहो तो भी वहीं है ।आत्मतत्व कहो वहीं है । तो वहीं अपने हृदय में… सत् चित् आनन्द रूप से है । आँखें बंद करूँ या खोलूँ, तू मुझको दर्शन दे दे ना… अरे ! अदर्शन तो है ही नहीं । जो दिखाई दे रहा है उसी में भी वो है अदर्शन तो कभी उसका है नहीं, लेकिन फिर भी बोलते हैं आंखें बंद करूँ या खोलूँ, मुझको दर्शन दे दे ना… तो साकार रूप में दर्शन मिल जाए बहुत बढ़िया है लेकिन साकार दर्शन करते-करते वो ही हमारा साकार, निराकार में भी छुप के बैठा है । ऐसी दृष्टि और ऐसी वृत्ति विकसित हो जाए तो वाह ! क्या बात है । क्या बात है । गुरुगीता में कितना बढ़िया बोला है – जपं तपं व्रतं तीर्थं… – जप, तप, व्रत, तीर्थ, यज्ञ, दान, होम, हवन, दक्षिणा, अनुष्ठान, उपासना आदि-आदि आदि-आदि… ये सब जो है गुरुतत्व को जाने बिना ये सब व्यर्थ हो जाता है । ऐसे वो शिवतत्व कहो… गुरुतत्व कहो, एक ही है वही सत्ता… महादेव की महिमा संकलित पुस्तक है उसमें अलग-अलग स्त्रोत अलग-अलग स्तुति का संकलन किया है और उसमें बहुत सार सार अंदर तो महादेव की महिमा का अगर आज पठन हो जावे पूरा नहीं होवे तो जो जो ठीक लगे तो भी बहुत फायदा है जागरण के समय… तो ऐसा है ।
महादेव की महिमा किताब के अंश :