वैलेंटाइन डे नहीं, हम तो मातृ-पितृ पूजन दिवस का समर्थन करते हैं ।
– पूज्य श्री नारायण साँईं जी

14 फरवरी जिसको देश और विदेश में वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है । इसको मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में इसलिए मनाना चाहिए क्योंकि यह माँ सरस्वती का दिन है । सरस्वती पूजन का दिन है और वैलेंटाइन एक महात्मा हो गए जिन्होंने तो इसका विरोध किया और देश-विदेश में इसको बहुत अधिक लोग वैलेंटाइन डे के रूप में मनाते हैं तो ये पाश्चात्य संस्कृति है । तो हम तो वैलेंटाइन डे नहीं, बल्कि हम तो मातृ-पितृ पूजन दिवस का समर्थन करते हैं तो हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता और हमारे विचारों की परंपरा में सभी लोगों को लाना चाहिए और मातृ-पितृ पूजन दिवस का प्रचार करना चाहिए और बच्चों को इस दिन जो है माता-पिता का पूजन करके आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए । तो सुदर्शनम के माध्यम से समाज में स्नेह का, समता का, सनातन संस्कृति का, सत्संग का, ध्यान का प्रसाद सबको मिल ही रहा है । ध्यान-योग साधना शिविर पेढमाला में संपन्न हुआ तीन दिन का । वहाँ भी लोगों को अलग-अलग प्रकार की क्रियाएँ हुई । कोई रो रहा है, कोई हँस रहा है, तो आध्यात्मिक दुनिया का तो आनंद ही कुछ और है । जो आ जाता है उसे पता चलता है कि इसका क्या नशा है… क्या इसका आनंद है… ॐ शांति !!

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