अगर संबंध रखना है तो झगड़ा कैसा?
और अगर नहीं रखना है तो फिर झगड़ा कैसा ?
चलिए, आइये – इम सारे झगड़ा मिटा दें ।
विवादों से कब किसको क्या ही मिला है अबतक ?
इसलिए संवाद करें…
संबंध मजबूत करें !
अच्छे मित्र बनाते चलें,
उनसे निभाते चलें…
गलतीयाँ होंगी, उसे मिटाते चलें, गलतीयों से भी सीखते चलें !
मुस्कुराते हुए हम मिलते रहें !

‘गते शोको न कर्तव्यं’ जो बीत गया उसका शोक कबतक ?
नित्य प्रसन्नता को अपना स्वभाव बना लें !

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