
English Quote – December 30, 2021
वही ईश्वर ब्रह्म है । साक्षी, गंभीर, आत्मा, ॐ कार, प्रणव, परब्रह्म, चेतन, परमात्मा आदि उसी के नाम हैं । जब उस ईश्वर की कृपा होती है तब जीवन अंतर्मुख होकर निर्मल होता है । निर्मल हृदय में आत्मा की भावना होती है फिर विवेकरूपी दूत ईश्वर भेजता है । विवेक के आते ही आत्म [...]
English Quote – December 29, 2021
दृश्य, दर्शन और दृष्टा भावना मात्र हैं । (Sight, Seeing and Seer are purely imaginations of mind.)
English Quote – December 28, 2021
मन को संकल्प-विकल्प रहित करके देखो, सारा दृश्य एक रूप हो जाएगा । (Just eradicate every resolve & counter-resolve from your mind and the entire outlook will become homogeneous.)
English Quote – December 27, 2021
जीव आनंदस्वरूप है और यह विश्व अपना ही रूप है । फिर नाहक अज्ञान से दुःखी, भयभीत, चिंतित और परेशान होने की क्या जरूरत है ? (The being is the embodiment of Bliss and this world is our own reflection. Then why to be upset, agonized, worried and fearful unnecessarily?)
English Quote – December 26, 2021
संसार समुद्र है । मृत्युरूपी भंवर है । तृष्णारूपी तरंगे - अज्ञानरूपी जल हैं - इन्द्रियाँ रूपी ग्राह हैं, विवेकरूपी नौका अचानक प्राप्त हो तभी बचते और तरते हैं । (This world is an ocean, a whirlpool of death. There are waves/ripples of desires & alligators of senses in the water of ignorance. By attaining [...]
English Quote – December 25, 2021
हकीकत में कुछ बना ही नहीं - सब भ्रांति मात्र है । यह हर क्षण, हर पल याद रहे तो संसार का प्रभाव चित्त पर नहीं पड़ेगा । (In reality, nothing has been created- everything is just an illusion. With the consistent remembrance of this fact, the world will no longer impact our mind & [...]
English Quote – December 24, 2021
दृढ़ वासना को ग्रहण करने पर ही अंतवाहक से अधिभौतिक होकर शरीर आदि प्राप्त होते हैं । चित्तवृत्ति स्फुरण से रहित होकर अपने स्वरूप की ओर आती है तब केवल अपना ही स्वरुप भासित होता है और परम आनंद अद्वैत रूप दिखता है । (Holding onto intense cravings takes the being from subtle to physical [...]
Sai Sandesh – November 24, 2021
एक खास बात है - कि लगभग हर मनुष्य स्वयं को अतृप्त, अपरिपूर्ण महसूस करता है ! हर मानव पूर्ण तृप्ति, पूर्ण संतुष्टि चाहता है परंतु उसे लाख कोशिशें करने के बावजूद भी तृप्ति , संतुष्टि मिलती नहीं है ! क्यों ? क्योंकि सही मार्ग से बेखबर है ! गुजरात के पोरबंदर में एक निलेश [...]