
Daily Quote – March 13, 2021
जिनके जीवन में क्षमा, सरलता, संतोष, दया और सत्य ये 5 गुन आ गए उनका जीवन अमृत तुल्य हो जाता है। (Life becomes like nectar for those bestowed with these five merits - forgiveness, simplicity, satisfaction, compassion, and truth.)
Daily Quote – March 12, 2021
जो चित में है और जो बाहर है दोनों ही मिथ्या है। अपने मन में जो भरा है वही भीतर और बाहर दिखता है। परंतु तुम तो मन से, बुद्धि से, बाहर व भीतर दोनों से ऊपर उठ जाओ। तब तुम देखोगे कि सब कल्पना ही है, मन का विलास है, भ्रम है, स्वप्न है, [...]
Daily Quote – March 10, 2021
तुम्हारा और मेरा नित्य संबंध है, था और रहेगा इसमें कोई संशय नहीं है। कोई इसे मिटा भी नहीं सकता क्योंकि हमारे अस्तित्व से ही जगत का अस्तित्व है। मैं प्रकाशक जगत प्रकाश्य, मैं द्रष्टा जगत दृश्य।
Daily Quote – March 08, 2021
कई महिलाओं ने , नारियों ने अपने हौसले को बुलंद रखकर विपरीत और कठिन परिस्थितियों में अपनी उन्नति की और कठिन सफ़र को तय किया !! ये वे महिलाएँ हैं जिनको देखकर अन्य महिलाएँ प्रेरणा लेती हैं ।
Daily Quote – March 07, 2021
उठो! उठो!! उठो!!! अपने स्वरुप में डेरा लगाओ और विराट स्वरुप के सिंहासन पर आरूढ़ हो जाओ, फिर आपके केवल एक संकेत से ही संसार के सारे कार्य पूरे होते चले जाएंगे।
Daily Quote – March 6, 2021
आप अपने को कभी छोड़ नहीं सकते और पर को कभी रख नहीं सकते जिसको आप छोड़ नहीं सकते हैं उसका नाम है आत्मा-परमात्मा और जिसे आप रख नहीं सकते हैं उसका नाम है माया,प्रकृति,प्रतीति। तो जिसे आप छोड़ नहीं सकते उस का ज्ञान पा लो और जिसे रख नहीं सकते उससे ममता हटा लो, [...]
Daily Quote – March 05, 2021
यदि शास्त्रों का वेत्ता भी हो और सर्वधर्म से पूर्ण हो तो भी यदि वासना से मुक्त नहीं हुआ तो बंधन में बंधा ही है। जिस पुरुष ने आत्म चिंतन का अभ्यास किया है और उससे ज्ञान रूपी अग्नि उपजाकर वासना के बीज को जलाया है,उसको फिर संसार-भ्रम नहीं होता ।
Daily Quote – March 04, 2021
अपने संकल्पों का अवसान करके देखो। न जगत है, न शरीर है, न नियति है, न संगति है, न द्रष्टा है न दृष्टांत है।
Daily Quote – March 03,2021
जीवत्व ना तो प्रार्थना से, न ध्यान से,न असंगभाव से, न कर्म से मिट सकेगा, वह तो केवल ब्रह्मज्ञान से ही वास्तविक मिटेगा की यह भ्रम था।
Daily Quote – March 02,2021
अविद्या तथा पूर्व वासना के कारण ही परमात्मा की प्राप्ति में प्रतिबंध है। अविद्या सिर्फ स्वरूप विद्या से ही मिटेगी।