पहली तो होती है श्रद्धा । बिना श्रद्धा के .... शालिग्राम में श्रद्धा रखनी पड़ती है, भगवान की मूर्ति में भी श्रद्धा । नास्तिक बोलेगा कि यह मूर्ति थोड़ी है, भगवान थोड़ी है, यह तो पत्थर है । नहीं । नास्तिक के लिए तुलसी पौधा है, फायदा नहीं होगा ।गंगा केवल नदी है नास्तिक के [...]
12 साल चली स्टडी का निचोड़: एक मुलाकात में भी दवा जैसा असर... विज्ञान भी कह रहा... प्रियजनों व दोस्तों से महीने में एक बार जरूर मिलें, जिंदगी की चाहत के साथ उम्र भी बढ़ जाएगी... अपने करीबी रिश्तेदारों और घनिष्ठ दोस्तों से महीने में आप कितनी बार मिलते हैं... या पिछली बार कब मिले [...]
अंतर्राष्ट्रीय मैत्री दिवस ... रोटी, कपड़ा और मकान - जिंदगी जीने के लिए मनुष्य की ये मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, लेकिन इन तीन चीजों से ही बात पूरी नहीं होती । मनुष्य की बेहतर जिंदगी के लिए इन तीनों के अलावा भी चाहिए - बेहतर श्रेष्ठजनों का संग, उत्तम मैत्री, प्रेम, सौहार्द, अपनत्व, संवेदना, साथ, सहकार, [...]
(पूज्य साँईंजी के ‘ज्योत से ज्योत जगाओ’ नामक पुस्तक से संकलित) सत्शिष्य के हृदय से निकले उद्गार हैं ये ! – ‘सद्गुरु ज्योत से ज्योत जगाओ...’ जब अंदर की ज्योत जग जाती है, तो बाहर की ज्योत फीकी हो जाती है । जिसकी वह अंदर की ज्योत जग जाती है, वह धन्य-धन्य हो जाता [...]
पूज्य साँईंजी की बोधप्रद वाणी सतत सावधानी ही साधना है । असावधानी और लापरवाही असफलता का कारण है । चाहे कोई भी कार्य करो, उसमें सावधानी आवश्यक है । असावधान मछली काँटे में फँस जाती है, असावधान साँप मारा जाता है, असावधान हिरण शेर के मुख में चला जाता है, असावधान वाहन चालक दुर्घटना कर [...]
उत्तम दृष्टिकोण धारण करें ! (पूज्य साँईंजी द्वारा विरचित ‘उत्तम दृष्टिकोण’ नामक सत्-साहित्य से संकलित) दुःख में उद्वेग न हो । सुख में स्पृहा न हो । मान-अपमान में समता रहे । धन-संपत्ति सदा टिकती नहीं है, आने-जानेवाली है । शरीर-मन-समय-संसार परिवर्तनशील है । सर्दी-गर्मी, सुख-दुःख आने-जानेवाले हैं । ये समझकर उत्तम दृष्टिकोण अपनाकर सदा [...]
बस प्रयत्न करो… प्रयत्न करो… और प्रयत्न करो… करते ही रहो… सफलता मिलेगी मिलेगी और मिलेगी ही… अपना काम सिर्फ प्रयत्न करना ही है । फल और परिणाम की चिंता छोड़कर । जब परिणाम अपनी मर्जी के अनुसार मिलनेवाला ही नहीं है तो उसकी चिंता, फिक्र करने से क्या लाभ ! इसीलिये प्रयत्न करो… और [...]
किसी भी मनुष्य की जिंदगी में घटनाओं की एक जंजीर होती है । एक कमजोर कड़ी के बाद एक मजबूत कड़ी आये, ऐसा हो सकता है और ऐसा होता भी है कि हमने जिसे निष्फलता मान लिया, वह बड़ी सफलता की जननी बन जाती है । कमजोर और मजबूत कड़ीयों का कुछ गूढ़ संबंध होता [...]
हमें छोटी-छोटी बातों से ऊपर उठने की जरूरत है । मनुष्य को अपनी कमियों और मर्यादाओं को जीवन जीने के लिए अयोग्यता मानने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है । मनुष्य को अगर पंख मिले होते, तो हो सकता है उसने विमान की खोज कभी की ही नहीं होती । ईश्वर ने मनुष्य को बहुत [...]
धर्मपाल जो कुछ भी छू देता वह सोना बन जाता । आशीर्वाद जैसी कोई चीज़ होती है, है क्या ? अपने पिता के वादे का परीक्षण करने के लिए, धर्मपाल ने अपने जहाज में सामान लादा और उन्हें बेचने के लिए ज़ांज़ीबार बंदरगाह के लिए निकल पड़ा । अगर आशीर्वाद तीव्र और करुणा से भरा [...]
ब्रह्मज्ञानी को पूजे महेश्वर, ब्रह्मज्ञानी आप परमेश्वर । ब्रह्मज्ञानी मुगत-भुगत का दाता, ब्रह्मज्ञानी पूरण पुरुष विधाता । ब्रह्मज्ञानी को खोजे महेश्वर, ब्रह्मज्ञानी आप परमेश्वर । ब्रह्मज्ञानी का कथ्या न जाये आधा अखर, नानक ब्रह्मज्ञानी सबका ठाकुर । जेको जनम मरण ते डरे, साध जना की शरणी पड़े । जेको अपना दुःख मिटावे, साध जना की [...]
सभी गुरुभाई एवँ गुरुबहनें गुरुपूनम के पावन पर्व पर अपने-अपने घरों में सद्गुरुदेव का विधिवत पूजन अथवा मानसिक पूजन अवश्य करें । ब्रह्ममुहूर्त के भी पहले उठने का प्रयास करें । स्नान करके प्रातः ४ बजे तक साधना में बैठें । कम-से-कम २-३ घंटे तक गुरुदेव का ध्यान करें । उसके बाद सद्गुरुदेव के लिए [...]