(पूज्य साँईंजी के सत्संग से संकलित) एक बार संत यात्रा करने जा रहे थे । बीच में देखा कि एक बरगद का हरा-भरा लंबी जटायुक्त पेड़ था । उसकी घनी छाँव में संत ने आराम किया व साथ के कुछ शिष्यों ने भी आराम किया । चलते गये, बद्रीनाथ की यात्रा की । यात्रा करके [...]
(पूज्य साँईंजी के सत्संग से संकलित) भगवान की कृपा नित्य-निरंतर बरस रही है । जैसे बारिश तो बरस ही रही है पर जैसा बर्तन होगा, उतना ही उसमें पानी आ सकेगा, छोटे बर्तन में कम और बड़े बर्तन में ज्यादा । यह बारिश तो फिर भी बारह महीने में चार महीने ही होती है, वो [...]
दोस्ती मतलब दो दिलों को जोडनेवाली एक आत्मा जीव था मेरा वो न रहा मेरे तनमें विचार था जो मेरा वो न रहा मेरे मन में जुडे हुए थे इम एक-दूजे के जीवन में अलग हुए वे बंधन एक-एक के जीवन में दिल मैं हूँ और धडकन वो है अब चूक-सा गया है दिल उस [...]
पहली तो होती है श्रद्धा । बिना श्रद्धा के .... शालिग्राम में श्रद्धा रखनी पड़ती है, भगवान की मूर्ति में भी श्रद्धा । नास्तिक बोलेगा कि यह मूर्ति थोड़ी है, भगवान थोड़ी है, यह तो पत्थर है । नहीं । नास्तिक के लिए तुलसी पौधा है, फायदा नहीं होगा ।गंगा केवल नदी है नास्तिक के [...]
12 साल चली स्टडी का निचोड़: एक मुलाकात में भी दवा जैसा असर... विज्ञान भी कह रहा... प्रियजनों व दोस्तों से महीने में एक बार जरूर मिलें, जिंदगी की चाहत के साथ उम्र भी बढ़ जाएगी... अपने करीबी रिश्तेदारों और घनिष्ठ दोस्तों से महीने में आप कितनी बार मिलते हैं... या पिछली बार कब मिले [...]
अंतर्राष्ट्रीय मैत्री दिवस ... रोटी, कपड़ा और मकान - जिंदगी जीने के लिए मनुष्य की ये मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, लेकिन इन तीन चीजों से ही बात पूरी नहीं होती । मनुष्य की बेहतर जिंदगी के लिए इन तीनों के अलावा भी चाहिए - बेहतर श्रेष्ठजनों का संग, उत्तम मैत्री, प्रेम, सौहार्द, अपनत्व, संवेदना, साथ, सहकार, [...]
(पूज्य साँईंजी के ‘ज्योत से ज्योत जगाओ’ नामक पुस्तक से संकलित) सत्शिष्य के हृदय से निकले उद्गार हैं ये ! – ‘सद्गुरु ज्योत से ज्योत जगाओ...’ जब अंदर की ज्योत जग जाती है, तो बाहर की ज्योत फीकी हो जाती है । जिसकी वह अंदर की ज्योत जग जाती है, वह धन्य-धन्य हो जाता [...]
पूज्य साँईंजी की बोधप्रद वाणी सतत सावधानी ही साधना है । असावधानी और लापरवाही असफलता का कारण है । चाहे कोई भी कार्य करो, उसमें सावधानी आवश्यक है । असावधान मछली काँटे में फँस जाती है, असावधान साँप मारा जाता है, असावधान हिरण शेर के मुख में चला जाता है, असावधान वाहन चालक दुर्घटना कर [...]
उत्तम दृष्टिकोण धारण करें ! (पूज्य साँईंजी द्वारा विरचित ‘उत्तम दृष्टिकोण’ नामक सत्-साहित्य से संकलित) दुःख में उद्वेग न हो । सुख में स्पृहा न हो । मान-अपमान में समता रहे । धन-संपत्ति सदा टिकती नहीं है, आने-जानेवाली है । शरीर-मन-समय-संसार परिवर्तनशील है । सर्दी-गर्मी, सुख-दुःख आने-जानेवाले हैं । ये समझकर उत्तम दृष्टिकोण अपनाकर सदा [...]
बस प्रयत्न करो… प्रयत्न करो… और प्रयत्न करो… करते ही रहो… सफलता मिलेगी मिलेगी और मिलेगी ही… अपना काम सिर्फ प्रयत्न करना ही है । फल और परिणाम की चिंता छोड़कर । जब परिणाम अपनी मर्जी के अनुसार मिलनेवाला ही नहीं है तो उसकी चिंता, फिक्र करने से क्या लाभ ! इसीलिये प्रयत्न करो… और [...]
किसी भी मनुष्य की जिंदगी में घटनाओं की एक जंजीर होती है । एक कमजोर कड़ी के बाद एक मजबूत कड़ी आये, ऐसा हो सकता है और ऐसा होता भी है कि हमने जिसे निष्फलता मान लिया, वह बड़ी सफलता की जननी बन जाती है । कमजोर और मजबूत कड़ीयों का कुछ गूढ़ संबंध होता [...]
हमें छोटी-छोटी बातों से ऊपर उठने की जरूरत है । मनुष्य को अपनी कमियों और मर्यादाओं को जीवन जीने के लिए अयोग्यता मानने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है । मनुष्य को अगर पंख मिले होते, तो हो सकता है उसने विमान की खोज कभी की ही नहीं होती । ईश्वर ने मनुष्य को बहुत [...]