धर्मपाल जो कुछ भी छू देता वह सोना बन जाता । आशीर्वाद जैसी कोई चीज़ होती है, है क्या ? अपने पिता के वादे का परीक्षण करने के लिए, धर्मपाल ने अपने जहाज में सामान लादा और उन्हें बेचने के लिए ज़ांज़ीबार बंदरगाह के लिए निकल पड़ा । अगर आशीर्वाद तीव्र और करुणा से भरा [...]
ब्रह्मज्ञानी को पूजे महेश्वर, ब्रह्मज्ञानी आप परमेश्वर । ब्रह्मज्ञानी मुगत-भुगत का दाता, ब्रह्मज्ञानी पूरण पुरुष विधाता । ब्रह्मज्ञानी को खोजे महेश्वर, ब्रह्मज्ञानी आप परमेश्वर । ब्रह्मज्ञानी का कथ्या न जाये आधा अखर, नानक ब्रह्मज्ञानी सबका ठाकुर । जेको जनम मरण ते डरे, साध जना की शरणी पड़े । जेको अपना दुःख मिटावे, साध जना की [...]
सभी गुरुभाई एवँ गुरुबहनें गुरुपूनम के पावन पर्व पर अपने-अपने घरों में सद्गुरुदेव का विधिवत पूजन अथवा मानसिक पूजन अवश्य करें । ब्रह्ममुहूर्त के भी पहले उठने का प्रयास करें । स्नान करके प्रातः ४ बजे तक साधना में बैठें । कम-से-कम २-३ घंटे तक गुरुदेव का ध्यान करें । उसके बाद सद्गुरुदेव के लिए [...]
चतुर्मास व्रत चतुर्मास में भगवान नारायण एक रूप में तो राजा बलि के पास रहते हैं और दूसरे रूप में शेष शय्या पर शयन करते हैं, अपने योग स्वभाव में, शांत स्वभाव में, ब्रह्मानंद स्वभाव में रहते हैं। अतः इन दिनों में किया हुआ जप, संयम, दान, उपवास, मौन विशेष हितकारी, पुण्यदायी, साफल्यदायी है। भगवान शेषशय्या [...]
गीता ने भी कहा - एकांतवासो लघुभोजनादो मौनं निराशा करणावरोध: । एकांत में रहना चाहिए । सारी वृत्तियाँ उस एक परमात्मा में जहाँ विश्रांति को प्राप्त होती है । वो जो विरक्त महात्मा होते हैं न ! विविक्त देशस्य सेवितवं अरतिर्जन संसति ।जनसमुदाय से दूर जाकर एकांत, अज्ञात में भगवान का भजन करते हैं । [...]
भारतीय इतिहास में एक से बढ़कर एक शिक्षक रहे हैं । श्रीराम से लेकर स्वामी विवेकानंद तक जितने भी युगनायक हुए हैं, उनके पीछे किसी महान गुरु का आशीर्वाद और शिक्षा रही है । शिक्षण पद्धति तो आदिकाल से चली आ रही है तथा हमारे पौराणिक ग्रंथों में गुरु-शिष्य परंपरा का जिक्र मिलता है । [...]
सीमा हिंगोनिया (वरिष्ठ पुलिस अधिकारी) कहती हैं - ‘पीड़ित पुरुष के लिए, उसकी सुनवाई के लिए कोई भी उचित प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं है । क्या पीड़ित सिर्फ महिला ही हो सकती हैं ? पुरुष नहीं ? उन पीड़ित पुरुषों को क्या न्याय नहीं मिल सकता ? कैसे, कहाँ मिले ? ये एक गंभीर महत्त्वपूर्ण [...]
जानिए... स्वयं को ! उतरिए अपने भीतर... देखिए... खुद को... महसूस कीजिए, अपने अस्तित्व को, अपनी क्षमताओं को ! एक चिंगारी में क्या ताकत है... शायद एक तिल्ली को नहीं पता... ! आपमें भी अनंत, असीम ऊर्जा का भंडार भरा है । ये बहिर्मुख होकर नहीं, अंतर्मुख होकर ही पता चलेगा ! खुद के लिए, [...]
रचनात्मक कार्य करने के लिए शांत और स्वस्थ दिमाग (मन) एक बुनियादी आवश्यकता है, क्योंकि सकारात्मक सुझावों को स्वस्थ एवं शांत मन द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है और इससे शरीर को रचनात्मक कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है । मन की शक्तियों, इसकी साधना और इसकी सीमाओं पर बुद्धिमान पुरुषों [...]
सिंधी जगत के एक संत हो गए टेऊँराम महाराज । बोलते थे तो वो परमात्मा के साथ एक हो जाते थे । शुध-बुध भूल जाते थे । और बच्चों को उनके साथ बहुत आनंद आता था। बच्चे अपने-अपने घर से निकलकर उनके पास पहुँच जाते थे । तो माता-पिता उनको रोकते थे कि क्या रोज़-रोज़ [...]
गुस्से में कोई काम न करें, वरना गलत ही करेंगे… जो आज का विज्ञान कह रहा, वही बात 16वीं शताब्दी में बलतासार ग्रासियन ने की थी । वे दार्शनिक थे । उन्होंने कहा था - “दोस्ती जीवन में सुख को बढ़ा देती है और दुःख घटा देती है ।” उनके कुछ विचार, सूक्तियों को साझा [...]
पूज्य श्री नारायण साँई जी 'ओहम्मो' का पत्र आपके लिए… ! ! (वकीलों द्वारा प्राप्त) 4 जुलाई, 2018 स्नेहाशीष के साथ पत्र का शुभारंभ कर रहा हूँ । देश-विदेश के मेरे प्यारे मित्रों ! साथकों- भक्तजनों ! समर्थकों ! पाठकों ! आप सभी कुशल मंगल होंगे, ऐसी मैं आशा करता हूँ । मैं ‘नारायण साँई' [...]