
हृदय महाधन है, उसकी रक्षा करनी चाहिए…
(पूज्य साँईंजी के ‘ज्योत से ज्योत जगाओ’ नामक पुस्तक से संकलित) सत्शिष्य के हृदय से निकले उद्गार हैं ये ! – ‘सद्गुरु ज्योत से ज्योत जगाओ...’ जब अंदर की ज्योत जग जाती है, तो बाहर की ज्योत फीकी हो जाती है । जिसकी वह अंदर की ज्योत जग जाती है, वह धन्य-धन्य हो जाता [...]
सतत सावधानी ही साधना है !
पूज्य साँईंजी की बोधप्रद वाणी सतत सावधानी ही साधना है । असावधानी और लापरवाही असफलता का कारण है । चाहे कोई भी कार्य करो, उसमें सावधानी आवश्यक है । असावधान मछली काँटे में फँस जाती है, असावधान साँप मारा जाता है, असावधान हिरण शेर के मुख में चला जाता है, असावधान वाहन चालक दुर्घटना कर [...]
दुःख में उद्वेग न हो !
उत्तम दृष्टिकोण धारण करें ! (पूज्य साँईंजी द्वारा विरचित ‘उत्तम दृष्टिकोण’ नामक सत्-साहित्य से संकलित) दुःख में उद्वेग न हो । सुख में स्पृहा न हो । मान-अपमान में समता रहे । धन-संपत्ति सदा टिकती नहीं है, आने-जानेवाली है । शरीर-मन-समय-संसार परिवर्तनशील है । सर्दी-गर्मी, सुख-दुःख आने-जानेवाले हैं । ये समझकर उत्तम दृष्टिकोण अपनाकर सदा [...]
Target Your Goal…
बस प्रयत्न करो… प्रयत्न करो… और प्रयत्न करो… करते ही रहो… सफलता मिलेगी मिलेगी और मिलेगी ही… अपना काम सिर्फ प्रयत्न करना ही है । फल और परिणाम की चिंता छोड़कर । जब परिणाम अपनी मर्जी के अनुसार मिलनेवाला ही नहीं है तो उसकी चिंता, फिक्र करने से क्या लाभ ! इसीलिये प्रयत्न करो… और [...]
अपने भीतर की शक्तियों को जागृत करें, योगी बनें…
हमें छोटी-छोटी बातों से ऊपर उठने की जरूरत है । मनुष्य को अपनी कमियों और मर्यादाओं को जीवन जीने के लिए अयोग्यता मानने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है । मनुष्य को अगर पंख मिले होते, तो हो सकता है उसने विमान की खोज कभी की ही नहीं होती । ईश्वर ने मनुष्य को बहुत [...]
आज गुरु पूनम के पावन दिवस पर परम पूज्य श्री नारायण साँईं द्वारा पसंद की गई भावेन कच्छी द्वारा लिखित एक सत्य घटना जरूर पढ़ें !
धर्मपाल जो कुछ भी छू देता वह सोना बन जाता । आशीर्वाद जैसी कोई चीज़ होती है, है क्या ? अपने पिता के वादे का परीक्षण करने के लिए, धर्मपाल ने अपने जहाज में सामान लादा और उन्हें बेचने के लिए ज़ांज़ीबार बंदरगाह के लिए निकल पड़ा । अगर आशीर्वाद तीव्र और करुणा से भरा [...]
आपको संत सेवा कब मिलती है ? (सेवा की महिमा)
ब्रह्मज्ञानी को पूजे महेश्वर, ब्रह्मज्ञानी आप परमेश्वर । ब्रह्मज्ञानी मुगत-भुगत का दाता, ब्रह्मज्ञानी पूरण पुरुष विधाता । ब्रह्मज्ञानी को खोजे महेश्वर, ब्रह्मज्ञानी आप परमेश्वर । ब्रह्मज्ञानी का कथ्या न जाये आधा अखर, नानक ब्रह्मज्ञानी सबका ठाकुर । जेको जनम मरण ते डरे, साध जना की शरणी पड़े । जेको अपना दुःख मिटावे, साध जना की [...]
Chaturmas Niyam
चतुर्मास व्रत चतुर्मास में भगवान नारायण एक रूप में तो राजा बलि के पास रहते हैं और दूसरे रूप में शेष शय्या पर शयन करते हैं, अपने योग स्वभाव में, शांत स्वभाव में, ब्रह्मानंद स्वभाव में रहते हैं। अतः इन दिनों में किया हुआ जप, संयम, दान, उपवास, मौन विशेष हितकारी, पुण्यदायी, साफल्यदायी है। भगवान शेषशय्या [...]