पितृदोष निवारण के उपाय

  • मनीषियों का मत है कि पूर्व जन्म के पापों के कारण या पिता के श्राप के कारण जातक की जन्म कुंडली में यह दोष प्रकट होता है । अत: पितृसत्ता में शास्त्रोक्त अनुष्ठानों के माध्यम से इसका निवारण किया जा सकता है । इसके अलावा कुछ सामान्य उपाय इस प्रकार हैं ।
  • प्रत्येक अमावस्या के दिन ब्राह्मण को भोजन कराएँ और दक्षिणा दें । यह पितृ दोष के प्रभाव को कम करता है ।
  • पितृदोष निवारण यंत्र की स्थापना कर प्रतिदिन इसकी पूजा करनी चाहिए । इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है ।
  • पनियारे दिवा पितरों के लिए बनाया जाता है । इसलिए हर दिन पनियार को दीपक जलाकर पितरों की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ।
  • अमास के दिन भगवान को कोड़िया में स्थापित कर खीर का भोग लगाकर दक्षिण दिशा में अपने पिता का आह्वान कर अपने अच्छे कर्मों के लिए क्षमा याचना करने से भी दोष दूर होता है ।
  • पिता का आदर करने से, उनके पैर छूने से, पिता तुल्य हर व्यक्ति को आदर देने से सूर्य मजबूत होता है और दोष का प्रभाव कम होता है ।
  • सूर्योदय के समय आसन पर खड़े होकर सूर्य देवता को देखने, जल चढ़ाने और उन्हें प्रणाम करने तथा गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य मजबूत होता है ।
  • सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक रत्न को सोने की अंगूठी में पहना जा सकता है, लेकिन यह कुंडली में सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है।

 

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