हम विकास की ओर नहीं, अपितु विनाश की ओर जा रहे हैं । विकास के नाम पर देश-दुनिया का विनाश करना बंद करो, बंद करो ।
– पूज्य श्री नारायण साँईं जी
ग्लोबल रैंकिंग : भारत सबसे बड़ा प्लास्टिक प्रदूषक, 93 करोड़ टन कचरा हर साल
नई दिल्ली. सरकारों की उदासीनता और आम आदमी में जागरूकता की कमी से देश के नाम एक अनचाहा रेकॉर्ड जुड़ गया है । भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्लास्टिक प्रदूषक देश बन गया । यहाँ सालाना 93 करोड़ टन प्लास्टिक वेस्ट निकलता है, जो वैश्विक प्लास्टिक उत्सर्जन का लगभग पाँचवा हिस्सा है । दूसरे पायदान पर नाइजीरिया है और तीसरे नंबर पर इंडोनेशिया है ।
नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि वैश्विक प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन में 69% के लिए 20 देश जिम्मेदार हैं । इनमें चार कम आय वाले देश हैं, जबकि 9 निम्न मध्यम आय वाले और सात उच्च मध्यम आय वाले देश हैं । अध्ययन के मुताबिक, उच्च आय वाले देश सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा पैदा करते हैं, लेकिन इनमें कोई भी देश शीर्ष 90 प्रदूषकों में शामिल नहीं है, क्योंकि इन देशों में 100 फीसदी संग्रह और नियंत्रित निपटान की व्यवस्था है । भारत में प्रति व्यक्ति 0.12 किलोग्राम प्रति दिन कचरे का उत्पादन माना जाता है, लेकिन इसे कम करके आंका गया है । क्योंकि आंकड़ों में ग्रामीण क्षेत्र और बिखरे कचरे को जलाना शामिल नहीं है ।
सर्वे की खास बातें
90% लोग प्रकृति के मौजूदा हालात को लेकर चिंतित हैं ।
73℅ लोगों को लगता है कि हमारा पर्यावरण अब उस स्थिति में पहुँच गया है, जहाँ यदि इसे नहीं संभाला गया, तो बदलाव रोकना असंभव होगा ।
57℅ मानते हैं नई तकनीक पर्यावरण के मुद्दे को हल कर सकती है । बस, लोगों को जीवनचर्या बदलनी होगी ।
और सर्वे में : 80% भारतीय चाहते हैं, पर्यावरण को नुकसान पहुँचानेवालों पर कार्रवाई हो
एक सर्वे में पता चला है कि 80% भारतीय मानते हैं कि पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचानेवाले लोगों या समूहों पर कार्रवाई होनी चाहिए । ब्रिटेन की संस्था इप्सोस और ग्लोबल कॉमन्स अलायंस के सर्वे में हर पाँच में से तीन लोग मानते हैं कि सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए पर्याप्त काम कर रही है । सर्वे में 20 देशों के एक हजार लोग शामिल हुए ।
ब्रिटेन में नदियों को गंदा करने के दोषी अफसरों को होगी जेल
ब्रिटेन सरकार ऐसा कानून ला रही है, जिसमें नदियों और जलमार्गों को प्रदूषित करनेवाली सीवेज कंपनियों के मालिकों को जेल भेजने तक का प्रावधान है । इस कानून से जलस्रोतों को साफ और संरक्षित करने में मदद मिलेगी । संसद में पेश विधेयक, नियामकों को प्रदूषणकारी कंपनियों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की शक्ति देगा । इतना ही नहीं, जाँच में बाधा डालनेवाले अधिकारियों को दो वर्ष की सजा भी हो सकती है ।
अनुकरणीय पहल
बढ़ते जल प्रदूषण को रोकने के लिए ब्रिटेन में पेश किया गया विधेयक अनुकरणीय है । यदि विधेयक पास हो जाता है, तो शहरी गंदगी को नदियों में डालनेवाली सीवेज कंपनियों के मालिकों को जेल भेजा जा सकेगा । भारत के शहरों में भी नालों के पानी को नदियों-झीलों में डाला जाता है । ऐसे में यहाँ भी सख्त कानून बनाकर जिम्मेदारों में डर पैदा करना होगा ।