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प्रियजनों व दोस्तों से महीने में एक बार जरूर मिलें…
12 साल चली स्टडी का निचोड़: एक मुलाकात में भी दवा जैसा असर…
विज्ञान भी कह रहा… प्रियजनों व दोस्तों से महीने में एक बार जरूर मिलें, जिंदगी की चाहत के साथ उम्र भी बढ़ जाएगी…
अपने करीबी रिश्तेदारों और घनिष्ठ दोस्तों से महीने में आप कितनी बार मिलते हैं… या पिछली बार कब मिले थे…? याद नहीं आ रहा… तो जल्द मिलना-जुलना शुरू कर दीजिए । वैज्ञानिकों का कहना है कि महीने में कम से कम एक बार करीबियों से मुलाकात जरूर करें । इससे असमय मौत का जोखिम घट जाता है, यानी आपमें जिंदगी के प्रति नजरिया सकारात्मक होता है, साथ ही उम्र बढ़ जाती है ।
ग्लासगो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग प्रियजन और दोस्तों से नियमित रूप से नहीं मिलते या अकेले रहते हैं, उनमें मौत का जोखिम 77% तक ज्यादा होता है । शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक की 12 साल तक चली स्टडी के डेटा का विश्लेषण किया । स्टडी में 57 साल की औसत उम्र वाले 4.58 लाख लोगों को शामिल किया गया था । इनके पाँच अलग-अलग तरह के सामाजिक संबंधों की पड़ताल की गई । शोधकर्ताओं ने पाया कि सामाजिक अलगाव का हर रूप, जैसे अकेले रहना, अक्सर अकेलापन महसूस करना या दोस्तों या परिवार से कभी-कभार मिलना मौत के उच्च जोखिम से जुड़ा था । जिन लोगों से कभी उनके दोस्त या परिजन नहीं मिले, उनमें हार्ट संबंधी मौत की आशंका 53% ज्यादा थी और नियमित रूप से मिलनेवालों की तुलना में मौत का जोखिम 39% ज्यादा था । अकेले रहनेवाले लोगों में दिल के रोगों से मरने की आशंका 48% ज्यादा थी, जबकि किसी पर विश्वास न कर पाने या मेलजोल की गतिविधियों में भाग न लेनेवालों में भी जोखिम बढ़ गया ।
कार्डियोमेटाबोलिक हेल्थ के प्रो. जेसन गिल कहते हैं – ‘मिलना-जुलना सबसे अच्छी दवा है । यूनिवर्सिटी में क्लीनिकल रिसर्च एक्सपर्ट डॉ. हामिश फोस्टर के मुताबिक, सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने पर लोग धूम्रपान या ऐसे ही सेहत को खतरा पहुँचाने वाले उत्पादों के आदी होने लगते हैं । नतीजतन, सेहत संबंधी जोखिम बढ़ता जाता है । ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसायटी के डॉ. रोमन रेज्का के अनुसार, स्टडी इशारा करती है कि अकेलेपन व सामाजिक अलगाव के आयामों और कारणों को हम समझें, ताकि इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में पहचाना जा सके । ऐसा होने पर ही इसमें सुधार के लिए सामाजिक स्तर पर प्रभावी कदम उठाये जा सकेंगे ।
आपके पास एक भरोसेमंद करीबी हो, ये बड़ा फर्क ला सकता है ।
एज यूके की चैरिटी निदेशक कैरोलिन अब्राहम कहती हैं – ‘यह शोध करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों के महत्व को बताता है । हम सभी के लिए किसी भी उम्र में सेहत संबंधी चिंता को नजरअंदाज करना और इसके बारे में कुछ करना टाल देना वास्तव में आसान है, पर किसी ऐसे करीबी का होना, जिस पर हम भरोसा कर सकें, बड़ा अंतर ला सकता है । बुजुर्गों के लिए डॉक्टर से अपॉइंटमेंट पर उनके साथ जाने या कम से कम आने-जाने में मदद करने की पेशकश से उनकी सेहत आश्चर्यजनक रूप से बेहतर हो सकती है ।
साभार: दैनिक भास्कर