अगर दुःख न हो, तो सुख की कद्र कैसे होगी ? अगर विपदा न हो, तो सम्पदा के महत्व का पता कैसे चलेगा ? अगर हानि ही न हो, तो लाभ की कीमत कैसे समझ में आयेगी ? और, इसीलिए ये जरूरी है कि जीवन में दुःख, कष्ट, मुसीबतें, विपदा, परेशानी व हानि भी आए । जीवन में इनकी भी हिस्सेदारी हो ताकि हमें सुख-सम्पदा-लाभ के महत्व का पता चल सके ।