सच्चा व आखिरी आनंद तभी मिलेगा जब आप आनंद की तलाश करना छोड़ दोगे ! आनंद व आपके बीच इच्छा मात्र का जब त्याग कर दोगे तब आप स्वयं आनंद स्वरूप बन जाओगे ! आप स्वयं जीते-जी चालते -फिरते उठते बैठते आनंद का पुंज बनोगे !

इस आकृति के मध्य में जो काला बिंदु है, आप अपलक थोड़ी देर एकाग्रता से केवल उसे देखते जाइये, मन के विचार शांत होंगे – आपकी नजर अपनी सांस पर – विचारों पर केंद्रित होगी, निर्विचार – निःसंकल्प होते जाएंगे ।

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