‘अन्नं ब्रह्म ।’ कि अन्न ब्रह्म है । कितनी मुश्किल से अन्न पैदा किया जाता है । कितने पशुओं – पक्षियों – जीवों के मुख से बचाकर वह अन्न मनुष्यों के खाने के लिए संग्रहित किया जाता है फिर पकाने में भी परिश्रम । ऐसे मुश्किल से मेहनत से तैयार अन्न को – भोजन को फेंकना बर्बाद करना पाप नहीं तो क्या है !

जेल में भी मैंने भोजन की बरबादी देखी है बहुत रोटीयां फेंक दी जाती हैं । बची हुई रोटीयां, भोजन अगर जेल के बाहर भेजा जाए, अन्नक्षेत्र चलाया जाए तो कई भूखों का पेट भर सकता है । आज की बची रोटीयों को किसी गौशाला में, तबेले में भेजा जाए तो कम – से – कम मानव न सही, जानवरों का पेट तो भर ही सकता है । हर जेल में बचे हुए भोजन को बरबाद होने से रोकने के लिए ये प्रयास करना चाहिए कि वह भोजन – जेल के बाहर कैदियों की मुलाकात में आए परिजनों को खिलाया जाए ! रोटीयां गाय – भैंस – भेड़ – बकरियों के काम आए या चिड़ियाघर (zoo) के पशु – पक्षियों के काम में लाई जा सकती हैं । केवल मानव ही नहीं अन्य जीवों की भी भूखमरी को मिटाने का प्रयास किया जा सकता है ।

हर शहर में होटल्स, रेस्तरां, भोजनालयों में बचे हुए भोजन को जरुरतमंदों तक पहुँचाने में ध्यान देना चाहिए । विवाह आदि कार्यक्रमों में भी बचे भोजन का सदुपयोग होना चाहिए । एक तरफ भूखमरी दूसरी तरफ भोजन की बरबादी । तो, भोजन की बरबादी को रोककर बहुत अंश में हम भूखमरी की समस्या से निजात पा सकते हैं । तो – अभियान चलाएं “ Save food, Share food, Joy food.”

अनाज के गोदामों में लाखों टन अनाज बरबाद हो रहा है इससे अच्छा हो ऐसे अनाज को समाजसेवा करने वाले लोगों, संस्थानों, ट्रस्टों – NGO’s को दिया जाए । अन्नक्षेत्रों तक पहुँचाया जाए !

एक तरफ भुखमरी की समस्या विकट होती जा रही है, दूसरी तरफ भोजन की बर्बादी भी खूब हो रही है । हमारे यहाँ शादी, विवाह, छठी, मुंडन, विभिन्न पर्वों एवं त्यौहारों आदि पर सहभोज का आयोजन किया जाता है । इनमें भोजन की बहुत ज्यादा बर्बादी होती है । पिछले दो-तीन दशकों से बुफे सिस्टम एवं खाने के पहले परोसे जानेवाले र्स्टाटर सिस्टम ने भोजन की बर्बादी की समस्या को कई गुना ज्यादा बढ़ा दिया है । हाल ही में हुए एक शोध से भी यह पता चला है कि भारत में विवाह आदि समारोहों में खाने की बेतहाशा बर्बादी होती है । भारत में भोजन की बर्बादी को रोकने के उद्देश्य से भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने दिसम्बर 2017 में सेव फूड, शेयर फूड, जॉय फूड के नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की । इसका मुख्य उद्देश्य देश में भोजन की बर्बादी को रोकना एवं उसे जरूरतमंदों तक पहुँचाने के साथ-साथ लोगों में भोजन की बर्बादी को रोकने के प्रति जागरूकता पैदा करना था । इसके बावजूद भोजन की बर्बादी नहीं रुक पाई है । विश्व खाद्यान्न उत्पादन पर एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मजबूत आर्थिक प्रगति के बावजूद भुखमरी की समस्या से निपटने की रफ्तार धीमी है । वैसे तो भारत विश्व में खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है, लेकिन यह भी सच है कि हमारे देश में प्रतिवर्ष करोड़ों टन अनाज जगह की कमी के कारण बर्बाद हो जाता है । आज भी भारत में लाखों टन अनाज खुले में सड़ रहा है और यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब करोड़ों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं । यही वजह है कि देश में छः साल से छोटे बच्चों में से 47 फीसदी बच्चे आज कुपोषण के शिकार हैं । इस बात का ध्यान रखना होगा कि भुखमरी एवं कुपोषण का रिश्ता गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी के साथ भोजन की बर्बादी से भी जुड़ा है । इन सभी मोर्चों पर एक साथ लड़ना होगा ।
साभार: आरंभ शुक्ला

Leave comments

Your email is safe with us.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.