उत्तम मैत्री बेहतर जिंदगी के लिए !
अंतर्राष्ट्रीय मैत्री दिवस …
रोटी, कपड़ा और मकान – जिंदगी जीने के लिए मनुष्य की ये मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, लेकिन इन तीन चीजों से ही बात पूरी नहीं होती । मनुष्य की बेहतर जिंदगी के लिए इन तीनों के अलावा भी चाहिए – बेहतर श्रेष्ठजनों का संग, उत्तम मैत्री, प्रेम, सौहार्द, अपनत्व, संवेदना, साथ, सहकार, सहयोग, आगे बढ़ाने की मंशा रखनेवाले हितकारीजनों का सान्निध्य, श्रेष्ठ मार्गदर्शक, उनसे मेल-जोल, संवाद – ये भी जरूरी है । जिंदगी के बारे में बहुत लिखा जा चुका है, पढ़ा जा चुका है । जिंदगी को बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिशों में इंसान ने लाखों-करोड़ों-अरबों खर्च कर दिए, खर्च कर भी रहा, आगे करता भी रहेगा, मगर क्या वो जिस सुख की खोज में है, उसे प्राप्त कर पाया ? आसपास ही नजर डालें कि परम सुख, परम आनंद, परम संतुष्टि की जिंदगी जीने में कितने लोग हैं, जो सफल हो पाएँ ? उत्तर आपको अपने आप मिलेगा, मुझे देने की जरूरत नहीं । बहुत कम या कोई नहीं । अक्सर सुविधाओं को सुख मानने की नासमझी लोग करते हैं । बेशक, सुविधाओं में सुख है, पर वो है आंशिक, पूर्ण नहीं । पूर्ण सुख प्राप्ति के लिए प्रयासों में कुछ बदलाव और नजरिये में भी बदलाव अपेक्षित है । आपके पास बाहरी दुनिया की सुख-सुविधाएँ, साधन, बेहतर मकान, पहनने को भाँति-भाँति के कपड़े, बढ़िया वाहन, गैजेट्स-मोबाइल-लैपटॉप-आईपैड, ज्वैलरी, घड़ी आदि ब्रांडेड हो जाने से क्या सुख मिलता है ? क्या वो सुख टिकता है ? इसकी समीक्षा की आपने ? ये सब जिनके पास हैं, उनकी जिंदगी खुशहाल हो जाए, इसकी गारंटी नहीं है – ये बात भी पक्की है । आप स्वयं तहकीकात कर सकते हैं । अपने आसपास के लोगों को देखकर, उनसे बातचीत करके, उनकी समस्याओं को, असंतोष, व्यथा, दुःख, परेशानियों को भी समझते देर नहीं लगेगी ! तो बेहतर, खुशहाल, परम सुखमय जिंदगी का मार्ग केवल रोटी, कपड़ा, मकान नहीं है । कार-बाइक, गैजेट्स, गद्दे-तकिए, एसी, वॉशिंग मशीन, मोबाइल, लैपटॉप नहीं है । वो मार्ग कुछ और है । वो रास्ता कुछ अलग है । वो प्रयास, वो नजरिया कुछ और है । अब प्रयास-नजरिया-सोच को बदलना होगा, तभी और तभी परम सुख के द्वार खुलेंगे ! जय जय !