रोजमर्रा की सूचना के स्रोत अखबार, टेलीविजन और मीडिया हैं । पर ये सिर्फ सूचना के स्रोत ही नहीं रह गए हैं, बल्कि ये लोगों की सोच और व्यवहार को भी बड़े स्तर पर निर्धारित करते हैं ।
मीडिया की ताकत को नकारा नहीं जा सकता । हजारों, लाखों, करोड़ों लोगों की मानसिकता को, सोच को मीडिया तय करती है । लोगों का माइंड सेट करती है । हम जो भी पढ़ते या देखते रहते हैं, उसे ही सच मान लेते हैं और उसीके अनुसार अपनी प्रतिक्रिया देते हैं । ऐसा होना स्वाभाविक है ।
वास्तविकता यह है कि कई बार किसी तथ्य के सभी आयामों को हमारे सामने पेश नहीं किया जाता और हम आंशिक जानकारी को ही पूर्ण जानकारी मानकर अपनी राय सुनिश्चित कर लेते हैं । मीडिया चाहे वो सोश्यल हो, प्रिंट हो, इलेक्ट्रॉनिक हो, किसी राज्य या देश के लोगों का माइंड सेट करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है ।
जब मीडिया द्वारा पक्षपातयुक्त या किसी दबाव या किसी अच्छे या बुरे तरीके से किसी खबर को दिखाने या न दिखाने का आदेश होता है, ऐसी स्थिति में कोई निर्दोष, अपराधी-सा बन जाता है और जो अपराधी है वह निर्दोष लगता है ।
मैंने स्वयं के जीवन में मीडिया की असर देखी है । मीडिया के दुष्प्रभावों के कारण ही लंबे समय तक मुझे कारावास भुगतना पड़ रहा है ।
आशा करता हूँ भारत में पक्षपात रहित मीडिया कार्य करे और राजनैतिक हस्तक्षेप से मीडिया जगत मुक्त रहे । इसीमें मीडिया की गरिमा है ।