World Suicide Prevention Day: 10 Sept 2024
आत्महत्या की खबरें पढ़कर मेरा हृदय बहुत दुःखी और व्यथित हो उठता है । मेरे देश का कोई भी नागरिक आत्महत्या करने की तो दूर की बात, आत्महत्या सोच भी कैसे सकता है ?
भारत की व्यवस्थाएं इतनी चरमरा गई हैं कि हर रोज न जाने कितनी आत्महत्याएं होती हैं ? मैं आत्महत्या से मुक्त देश बनाना चाहता हूँ । एक ऐसा भारत कि जहाँ किसी को भी आत्महत्या करने के लिए मजबूर न होना पड़े !
विचार कीजिए, आत्महत्या करने का इंसान तभी सोचता है जब उसे लगता है कि मरने के सिवा अब कोई रास्ता नहीं है । जीने के सारे दरवाजे, उसे बंद लगते हैं तभी वो आत्महत्या करने का गंभीर कदम उठाता है ! अपने दर्द से वो इतना पीड़ित होता है कि अपना दर्द वो किसी से बाँट नहीं सकता, अपने दर्द को खाली नहीं कर सकता । अपने दर्द की दवा उसे जब नहीं मिलती तब वो आत्महत्या को दर्द से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय समझता है लेकिन हकीकत में आत्महत्या करने वाला अपने दर्द को अपने स्वजनों में बांटता है । आत्महत्या दर्द को मिटाने का हरगिज उपाय नहीं हो सकता । हमें दवा ढूंढ़नी होगी, वह दवा बतानी होगी, देनी होगी और हर हाल में इस देश को आत्महत्या के कलंक से मुक्त करना होगा ।