अपेंडिक्स होने पर क्या करना चाहिए ?

अपेंडिक्स होने पर क्या करना चाहिए ?

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस)

अपेंडिसाइटिस, शरीर में अपेंडिक्स नामक एक अंदरुनी अंग में होता है । अपेंडिक्स एक पतली और छोटी-सी ट्यूब होती है, जिसकी लंबाई लगभग 2 से 3 इंच तक होती है । अपेंडिसाइटिस के शुरुआत में आमतौर पर पेट के बीच के हिस्से में बार-बार दर्द होता है । अपेंडिसाइटिस होने पर जी मिचलाना (मतली), भूख कम लगना, बुखार और लाल चेहरा होना जैसे लक्षण होते हैं । 

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) के लक्षण 

इसके शुरूआती संकेत और लक्षण अक्सर काफी हल्के दिखते हैं, जिनमें पेट दर्द और भूख कम लगना शामिल हैं । और फिर जैसे धीरे-धीरे अपेंडिसाइटिस बढ़ता है, तो दर्द एक मुख्य लक्षण बन जाता है, जो प्रभावित जगह तक ही सिमित नहीं रहता बल्कि उसके इर्द-गिर्द आंतरिक अंगो में फैलने लग जाता है ।

* नाभि या पेट के ऊपरी हिस्से में हल्का दर्द जो पेट के निचले दायें हिस्से की ओर जाते हुए तेज हो जाता है । 

* भूख ना लगना । पेट में दर्द शुरू होने के बाद मतली या उल्टी होना । 

* पेट में सूजन । 99-102 डिग्री बुखार । पेट के ऊपरी या निचले हिस्से, पीठ, या मलाशय में कहीं भी हल्का या तेज दर्द ।

* पेशाब करने में परेशानी, पेट में गंभीर ऐंठन । गैस के साथ कब्ज या दस्त की समस्या ।

* अपेंडिसाइटिस पेशाब को भी प्रभावित करता है ।

अगर किसी व्यक्ती को अपेंडिसाइटिस होने का संदेह मात्र भी है, तो उसको जुलाब (laxatives) की गोलियाँ नहीं लेनी चाहिए । अपेंडिसाइटिस से प्रभावित व्यक्ति अगर जुलाब की गोलियाँ ले, तो उससे अपेंडिक्स फट सकता है ।

अपेंडिसाइटिस के कारण  

ऐसा माना जाता है कि अपेंडिसाइटिस तभी विकसित होने लग जाता है, जब ‘सीकम’ (cecum – एक थैली होती है, जो छोटी आँत और बड़ी आँत के मेल से जुड़ी होती है) में खुलनेवाला अपेंडिक्स का रास्ता या छिद्र बंद हो जाता है । यह रुकावट अपेंडिक्स के अंदर एक मोटा बलगम जैसा द्रव बनने के कारण या मल जो सीकम से अपेंडिक्स के अंदर चला जाता है, उसके कारण हो सकती है । यह द्रव या मल कठोर होकर पत्थर की तरह मजबूत बन जाते हैं, जो फँसकर छिद्र को बंद कर देते हैं । इस पत्थरनुमा चीज को ‘फेकलिथ’ (fecalith) कहा जाता है । 

इसके अलावा कई बार, अपेंडिक्स के लसीका ऊतकों (lymphatic tissue) में सूजन आ जाती है और वे फैलकर छिद्र को बंद कर देते हैं । अपेंडिक्स में बैक्टीरिया सामान्य रूप से पाए जाते हैं, लेकिन रुकावट होने के बाद वे कई गुना ज्यादा बढ़ जाते हैं, जो अपेंडिक्स की परतों पर हमला करके संक्रमण फैलाना शुरू कर देते हैं । 

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) में परहेज – ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, जो कब्ज पैदा करते हैं । इनमें डेयरी प्रोडक्ट, रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड (पिज्जा, फ्रोजन डिनर्स, पास्ता), चीनी से बनी चीजें (केक, पाई, पेस्ट्री, डोनट्स) और कैफीन युक्त चीजें शामिल हैं ।

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) में क्या खाना चाहिए ?

सूप और जूस को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए, साथ ही दिन में कम-से-कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए । साबुत अनाज, फल और हरी पत्तेदार सब्जियाँ लें । 

अपेंडिक्स होने पर क्या करना चाहिए ?

अपेंडिसाइटिस के लक्षण महसूस करने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें । इसके लिये घरेलू उपचारों पर निर्भर न रहें । सर्जरी होने के बाद डॉक्टर ठीक होने के लिये एंटीबायोटिक्स और दर्द की दवा दे सकते हैं । इसके अलावा अपेंडिक्स होने पर इन चीजों का ध्यान रखें –

* आराम करें । खाने में लिक्विड चीजें लें ।

* हल्की-फुल्की सैर के लिये जा सकते हैं ।

* भारी सामान को उठाने से बचें ।

* सर्जरी के वक्त लगे टाँकों को सूखा और साफ रखें ।

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