भगवान गणपति पूजन की महिमा एवं विधि…

भगवान गणपति का उत्सव देश और विदेश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । 

‘गणपति बप्पा मोरया, लाड़ू लाओ लवकरया ।’ 

इस प्रकार गणपति बप्पा के भक्त रिद्धि और सिद्धि की प्राप्ति के लिए, बुद्धि को सूक्ष्म बनाने के लिए और अपने जीवन मार्ग में आनेवाले विघ्नों से त्राण (रक्षा) पाने के लिए भगवान गणपति का पूजन करते हैं । 

तो जो गणपति के भक्त हैं, गणपति के उपासक हैं, वो भगवान गणपति की पूजा करके अपनी बुद्धि को सूक्ष्म कर सकते हैं, मेधावी बन सकते हैं, रिद्धि-सिद्धि को प्राप्त कर सकते हैं । 

गणपति विघ्नविनायक हैं, विघ्नों का नाश करते हैं । विघ्न किसके जीवन में नहीं आते ? संसारी हो चाहे साधु, ब्रह्मचारी हो कि गृहस्थ हो, विद्यार्थी हो कि व्यापारी हो, जबतक जीवन है, तबतक कोई न कोई विघ्न तो आते ही हैं । अतएव गणपति की उपासना करें । 

शास्त्रों में एक जगह यह भी कथा आती है कि भगवान शंकर का पार्वती से जब विवाह हुआ, तब भी गणेश पूजन किया गया । कईयों को आश्चर्य होगा कि भगवान गणपति तो भगवान शंकरजी के सुपुत्र हैं, तो जब शादी ही शंकर भगवान की हो रही है, उस समय भगवान गणपति पूजन कैसे हुआ ? 

कथा कहती है कि गणेश तत्व और गणपति बहुत प्राचीन है । वो गणपति कि जिनका पूजन किया, वो ही गणपति का तत्व भगवान शंकर के पुत्र के रूप में अवतरित हुआ, उसको भी गणपति कहते हैं ।

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् । 

उमासुतं सर्व शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ।।

एक और विधान आता है शास्त्रों में कि अगर घर के अंदर आपको भगवान गणपति की मूर्ति रखनी है, आप एक फीट की मूर्ति रखिए या 1 फीट से छोटी, लेकिन 1 फीट से बड़ी मूर्ति के लिए मंदिर चाहिए, उसको घर में रखने का नहीं, प्रत्युत बाहर रखने का विधान है । अगर अपने व्यक्तिगत या पारिवारिक पूजा के लिए गणपति की मूर्ति रखते हैं, तो वो एक फीट या उससे नीची होनी चाहिए, इससे बड़ी मूर्ति सार्वजनिक होनी चाहिए, उसका मंदिर होना चाहिए । इस प्रकार का विधान आता है । हम घर के द्वार के भीतर प्रवेश करें गणपति का दर्शन हो, घर से बाहर जाएँ गणपति का दर्शन हो ।

‘गणनांपति इति गणपति ।’

जो गणों का पति है अर्थात् इंद्रियों का स्वामी है । इंद्रियों को गण कहा, जो गणों का स्वामी है, इंद्रियों का स्वामी है कि इंद्रियों को जीतने के लिए इंद्रियजयी सबसे पहले देवता और सबसे मुख्य देवता गणपति है और गणपति के पूजन का पर्व भी इसी महीने में आता है और गणपति का पूजन करके अपने जीवन में आनेवाले हर विघ्नों को परास्त करें, दूर करें और हमारा जीवन निर्विघ्न हो । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – ये चार पुरुषार्थ हमारे सिद्ध हो और जीवन की शाम हो जाए, उससे पहले जीवनदाता की मुलाकात हो, ईश्वरप्राप्ति का लक्ष्य पूरा हो । 

यह मानव जीवन सिर्फ खाने, पीने और सांसारिक भोग भोगने के लिए ही नहीं मिला, इसका अपना ऊँचा आदर्श है । इसका लक्ष्य है, वो लक्ष्य है आत्मपरमात्मा की प्राप्ति, अपने आप को जानना, अपने स्वरूप का बोध, ब्रह्म साक्षात्कार… अगर ये हो गया, तो 84 लाख जन्मों के चक्कर से हम सदा के लिए मुक्त हो जाते हैं । हम तो तरते हैं, लेकिन हमारी 21-21 पीढ़ियाँ भी तर जाती है । हमारा कुल और खानदान धन्य हो जाता है, पवित्र हो जाता है । ऐसी भक्ति की और ज्ञान की महिमा है और घर बैठे वो शक्ति, भक्ति और ध्यान और योग और संस्कृति का संदेश गुरु कृपा का प्रसाद आपको मिल रहा है । 

आप सभी को गणपति उत्सव की बहुत-बहुत बधाईयाँ… !

 

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