होली पर संदेश
समय के साथ संबंध भी जैसे डिजिटल होते जा रहे हैं । पास-पास में बैठे लोग मोबाइल, गैजेट्स में ऐसे खोए से रहते हैं कि वे पास होने पर भी वर्चुअल दुनिया में खोए रहते हैं । पास होने पर भी मन से दूर होते हैं । चैटिंग की आदत भी ऐसी हुई कि – पत्र लिखने की परंपरा भी छूट-सी गई है । बैटरी डाउन होते-होते इंसान (BP) डाउन होने लगता है । इन गैजेट्स ने, मानो इंसानों को अपनी गिरफ्त में जकड़-सा लिया है । गुलाम बना दिया है ।
ऐसे हालातों में बहुत कम लोग होंगे, जिनके बीच पत्राचार होगा । स्वयं के भाव, संवेदनाएं अभिव्यक्त करने के लिए समय निकाल पाना भी आज के दौर में मुश्किल होता जा रहा है ।
आज होली है । हो – ली । जी हो, ली, हो गई, बीत गई – उसे जाने दो । भूतकाल में जीना छोड़ो । हाँ, बीते समय की श्रेष्ठजनों की यादें – स्मृतियाँ – उनकी जुगाली कर सकते हैं, पर जिस भूतकाल का स्मरण करने से पीड़ा-दुःख हो, उसे भूलना – छोड़ना पड़ेगा !
वर्तमान में जीएँ – मौज से रहें ।
हर हाल में खुशहाल रहने की कला जिंदगी का वैभव है ।