कौन कहता है कि आप नहीं हैं हमारे साथ ? हमारे नाम के उद्गम में, हमारे मन की गहराइयों में, हमारी रग-रग में, नसों में… हमारे खून में, हमारी आँखों से बहते आँसुओं में… हमारे मुखमंडल आभा में…  हमारी यादों में, हमारे सपनों में, हमारे ख्वाबों, ख्यालों में, हमारे दिल-औ दिमाग में आपकी छवि, आपका नाम, आपका प्रेम, आपकी कृपा, आपका आशीर्वाद… कायम है और रहेगा  ।

हे पूज्यवर ! 

आप तन से पास रहें या दूर, 

आँखों के सामने रहें या होते रहें ओझल…

आपका स्नेह, आपकी करुणा, आपका वात्सल्य, 

आपकी वाणी, आपका ज्ञान हमारे जीवन को रसमय बनाता है।

नित्य नूतन रस के दाता हैं आप।

आपकी पावन मंगलमय स्मृतियाँ, 

आपका ध्यान, निदिध्यासन, आपका त्राटक, 

आपका मंत्र, आपका जप, आपका संकीर्तन…

हमारे जीवन को खुशनुमा बनाता है…. हमारे हृदय कमल को खिलाता है…

निराशा- हताशा से बचाता है !

हे समत्व के योगी ! हे सिद्धसंत ! 

आपको अनंत कोटि वंदन !

Leave comments

Your email is safe with us.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.