शांति, प्रेम, करुणा का संदेश विश्व मानव को देनेवाले ओजस्वी आध्यात्मिक युवा
फिलोसॉफर नारायण साँईं का दुनिया के लिए वर्ष 2019 में सातवाँ संदेश…
दिनांक 27 मार्च, 2019
आज बुधवार है 27 मार्च, 2019 । अक्सर मेरी सप्ताह में एक-आध बार मुलाकात का बुधवार ही सुनिश्चित दिन होता है । चूँकि सुश्री रेखा बहन कि जो तेजस्विनी धर्मप्रचारिका है और गुरुदेव की कृपापात्र सतशिष्या है । उनका सूरत में होली के निमित्त कार्यक्रम था और आगे के आध्यात्मिक कार्यक्रम तय थे । वे मुझसे मिलने के उत्सुक थे ही कारण था कि बुधवार के बदले मंगलवार यानी बीते कल 26 मार्च, 2019 की शाम को ही सूरत जेल के मुलाकात विभाग से मुझे बुलावा आया और देखा कि बाहर डोली,सेलवास, दमण, वापी, मुम्बई, सूरत, अहमदाबाद, बड़ौदा और दिल्ली से अनेकों लोग मुझसे मिलने के लिए लालायित थे । अन्य कैदियों की मुलाकात लेने आए मुलाकाती भी विस्मित से कुतूहल भरी नजरों से देख रहे थे । एक योगेश नामक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि आपके पत्र मैं बड़ा ध्यान से पढ़ता हूँ और देश-दुनिया के लिए आपके पत्र बहुत ही प्रेरणादायी है । मैं चाहता हूँ कि आप समाज का, देश का, दुनिया का मार्गदर्शन करें । आपके संदेश समाज में, देश में बहुत ही सकारात्मकता का विस्तार कर रहे हैं । मैंने योगेश से कहा अच्छी बात है । मुझे खुशी हुई कि मेरे विचारों की कद्र करने वाला इंसान आज मेरे सामने खड़ा है । आप इन विचारों के अनुसार जीवन बनाने की कोशिश कीजिए और स्वयं को बदलकर दुनिया को बदलने का प्रयास कीजिए । हम जैसी दुनिया में जी रहे हैं हमारी कोशिश हो कि आनेवाले कल में हम आज से बेहतर दुनिया आनेवाली पीढ़ियों को प्रदान करते जाएँ । हिंसा, तनाव, अशांति से मुक्त अहिंसक, तनावमुक्त, शांत, सुखद व आनंदित विश्व का हमें सृजन करने के लिए अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । हमें आपस में दंभ से मुक्त होकर दिल की बातें खुलकर अभिव्यक्त करनी चाहिए । गॉसिप का शौक हेल्थ के लिए good है । स्ट्रेस फ्री करता है, सेंस ऑफ ह्यूमर को विकसित करता है । संबंधों के नए समीकरण गॉसिप से पता चलते है । मित्रों के साथ बॉन्डिंग मजबूत होता है । नए मित्र बढ़ते है । आपस में मिलकर दो-चार-पाँच-सात मित्रों से मिलकर की गई खुलकर चर्चा गॉसिप वर्चुअल दुनिया के होनेवाले नुकसान से बचाती है । reality बरकरार रखती है जो आवश्यक है । एकांकीपन दूर होता है । अवसाद, निराशा, नकारात्मकता दूर होती है । सकारात्मकता बढ़ती है । अतः समाज को, देश को श्रेष्ठ बनाने के लिए स्वयं को बदलने के लिए आपस में गॉसिप करते रहना चाहिए ।
मुझे जानकारी मिली है कि एक वैश्विक संगठन है, जो अच्छे विचारों व उमदा कार्यों को समाज में कई देशों में दुनिया के कोने-कोने में फैलाने के लिए पिछले कुछ समय से कार्यरत है । यह वैश्विक श्रेष्ठ विचार व उमदा कार्य प्रचार प्रसार संगठन (Global Organization for Promotion of Noble Thoughts and Deeds) e-mail :- Gopontad@gmail.com जो मेरे संदेशों को भारत व दुनिया के जिन देशों में फैलाने के लिए कुछ समय से कार्यरत हुआ है । मैं इस संगठन (Organization) को उसके लिए बधाई देता हूँ व इस संगठन के सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को साधुवाद देता हूँ । यह वैश्विक संगठन अच्छे विचारों व श्रेष्ठ कार्यों को देश और दुनिया में फैलाकर लोगों को अच्छाई की तरफ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है । ये खुशी की बात है । मैं इस संगठन के बेहतर वर्तमान और उज्ज्वल भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ । एक अच्छे लक्ष्य को लेकर की गई शुरुआत के परिणाम भी अच्छे ही आते हैं । मुझे लगता है कि हमें इस संगठन के साथ जुड़कर अपने-अपने स्तर से अधिक से अधिक लोगों तक अच्छे विचारों व श्रेष्ठ कार्यों की महक फैलाने का कार्य करना चाहिए । इस संगठन के द्वारा प्राप्त हुए विचारों को, लेखों को सोशियल मीडिया का सदुपयोग करते हुए फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप आदि माध्यमों से अगर जुड़े हैं तो अपने ग्रुप्स में, फ्रेंड्स सर्कल में उन्हें पहुँचाना चाहिए, फॉरवर्ड करना चाहिए, जिससे समाज में अच्छाई फैलें और बेहतर समाज का निर्माण बेहतर विचारों से हो, उमदा कार्यों से हो । हमें एक आनंदमय समाज का और आनंदमय देश का और अंततः आनंदमय विश्व का निर्माण करना होगा और इसी संकल्प के साथ हमें आगे बढ़ना होगा ।
हर वर्ष 20 मार्च का दिन “International Happiness Day” के रूप में मनाया जाता है । 20 मार्च के दिन को भी राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया गया और इन बार की अंतर्राष्ट्रीय थीम थी “Happiness Together”. संयुक्त राष्ट्र के 193 देश हैप्पीनेस डे मनाते है ये अच्छा है । लेकिन वर्ष में केवल एक ही दिन हैप्पीनेस नहीं हमें तो साल के 365 दिन हैप्पी रहना है । प्रसन्न रहने के लिए साल में एक ही दिन क्यों ? हर दिन प्रसन्नता के साथ बीते ऐसा प्रयास करना होगा । मेरे पिताजी ने मंत्र दिया है – ‘सदैव प्रसन्न रहना ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है ।’ तो हर हाल में, हर अवस्था में, हर माहौल में प्रसन्नता बरकरार रहें ऐसा स्वभाव हमें बनाना होगा । मैं आपको भारत के मुम्बई शहर के सायन में हैप्पी फिट होम चलाने वाली मानसी शाह के बारे में बताना चाहता हूँ । ये देवी गजब का सराहनीय कार्य कर रही है । कैंसर, HIV और Lac nia जैसी लाइलाज बीमारियाँ जिन बच्चों को लगी है । जो बच्चे मौत से जूझ रहे हैं उनको प्रसन्नता प्रदान कर रही है । उनकी हैप्पीनेस बढ़ा रही है । मौत के साये में जी रहे बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट लाने का कार्य कर रही है । तेजस्विनी मानसी शाह । 4 फरवरी, 2019 को पत्रिका के प्रथम पेज पर उनके बारे में समाचार गठित छपे थे । देखिये, मानसी शाह का यह प्रयास कितना प्रेरक है ।
(4.2.2019, राजस्थान पत्रिका, पेज – 1)
कैंसर से जंग : बच्चों को जिंदगी से नफरत की बजाए प्यार करने की दे रहीं सीख
मौत से जूझ रहे बच्चों को जीना सिखा रहीं मानसी
| अरुण लाल patrika.com
मुंबई. जो जन्मा… उसकी मृत्यु निश्चत है। मगर मौत के साए में भी जो जीवन के उत्सव मनाए… जीत उसी की!!! मुंबई की मानसी मौत से जूझ रहे बच्चों को जीना सिखा रही है। मानसी शाह सायन में एक हैप्पी फीट होमज्के मार्फत मौत के साए में जी रहे बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट लाने में जुटी हैं। मुलुंड के मध्यम वर्गीय परिवार की परवरिश ने उन्हें इतना मजबूत बना दिया है कि वे कैंसर, एचआईवी और पैलेसिनिया जैसी लाइलाज बीमारियों से परेशान बच्चों का सहारा बन गई हैं। बचपन से ही लोगों की मददगार मानसी ने पढ़ाई के बाद आठ वर्ष तक आकांक्षा नामक संस्था में लोगों की सेवा की।
पैसे की दिक्कत
मानसी ने बताया कि ‘हैप्पी फीट होम’ में बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती है। सरकारी मदद भी नहीं मिलती है। इस काम के लिए पैसे जुटाना मुश्किल है। मगर नामुमकिन नहीं। कुछ लोग हैं, जो इस सेंटर को मदद करते हैं। मानसी अब पूरी तरह से बेड पर मौत से लड़ रहे बच्चों के घर जाकर मदद करना चाहती हैं। इसके लिए वे सब फंड जुटाने में लगे हैं।
लोगों ने उठाए तमाम सवाल
मानसी ने बताया कि उनके सामने बड़ी दिक्त थी कि उन्हें कोई बच्चा देने के लिए तैयार नहीं था। बहुत से अस्पतालों के चक्कर लगाए। सब यही कहते। थे कि तुम्हारे पास न पैसा है, न अनुभव। हमारी मेहनत देखकर लोगों को लगने लगा कि हम यह काम कर सकेंगे। पहले कुछ कैंसर पीड़ित बच्चे आए पर वे ज्यादा समय हमारे साथ नहीं रहे। उन्होंने दुनिया छोड़ दी। यह बहुत दुःखद था, पर हम इसके लिए तैयार थे।
ऐसे करते हैं कार्य
‘हैप्पी फीट होम’ में लगभग 350 बच्चों को तीन समय भोजन और दवा की व्यवस्था की जाती है। सभी बच्चों को हर तरीके करते से खुश रखने की कोशिश की जाती है। यह जानते हुए भी कि हम इन बच्चों को रोक नहीं सकते, पर इतना जरूर करते हैं कि कोई बच्चा ‘हैप्पी फीट होम’ से तड़प कर न जाए।
वर्ष 2019 की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट आई है जिसमें दुनिया के टॉप 10 खुशहाल देशों की सूची जारी हुई है जिसमें फिनलैंड दुनिया का सबसे खुशहाल देश है । 156 देशों में से भारत सातवें स्थान से गिरकर 140 वें स्थान पर पहुंच गया है । वास्तविक विकास, वास्तविक तरक्की, वास्तविक उन्नति तो तब मैं मानूंगा जब भारत दुनिया का सबसे खुशहाल देश बनेगा । दैनिक भास्कर में 21 मार्च 2019 के प्रथम पेज पर छपी खबर आप पढ़िए जिससे आप विस्तार से समझ जाएंगे ।
Dainik Bhaskar 21/3/19 Page 1
फिनलैंड दूसरी बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश; 156 देशों में भारत 7 स्थान गिरकर 140वें तो पाकिस्तान 67वें स्थान पर
2019 की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट जारी, टॉप-10 में यूरोप के 7 देश, एशिया का एक भी देश नहीं
दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में फिनलैंड ने दूसरी बार पहला स्थान हासिल किया है। वहीं, 7 पायदान फिसलकर भारत 140वें स्थान पर पहुंच गया है। 156 देशों की सूची में दक्षिण सूडान सबसे कम खुशहाल देश है। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क द्वारा जारी की गई वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट-2019 के अनुसार टॉप 10 खुशहाल देशों में से 7 यूरोप के हैं, जबकि टॉप 20 में एशिया का एक भी देश नहीं है। भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान इस सूची में 67वें स्थान पर है। अमेरिका पिछले वर्षों में अमीर तो हुआ है, लेकिन वहां खुशहाली में भी गिरावट आई है। इस बार उसका क्रम 19वां रहा। अमेरिका लगातार सूची में नीचे खिसक रहा है। 2017 में वह 14वें स्थान पर था। अमेरिका आज तक एक बार भी खुशहाल देशों की टॉप 10 की सूची में नहीं आ सका है। ब्रिटेन ने जरूर अपनी रैंक में सुधार किया है। 18वें स्थान से तीन स्थान आगे छलांग लगाकर वह 15वें स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी, रूस, जापान और चीन जैसे सुपरपॉवर देशों में भी खुशहाली का स्तर लगातार गिरते जा रहा है। जर्मनी दो स्थान फिसलकर 17वें स्थान पर तो चीन 86वें स्थान से 93वें स्थान पर आ गया है। विश्व में सबसे खुशहाल देशों को सूचीबद्ध करने के लिए भूटान ने 2011 में संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव रखा था। इसे मंजूरी मिलने के बाद से हर साल 20 मार्च को ‘वर्ल्ड हैप्पीनेस डे’ मनाया जाता है। पहली बार 2012 में घोषित सूची में भूटान पहले स्थान पर था। इस साल वह 95 क्रम पर है। खुशहाली मापने के लिए 6 मानकों पर सवाल तैयार किए जाते हैं। इनमें संबंधित देश के प्रति व्यक्ति की जीडीपी, सामाजिक सहयोग, उदारता और भ्रष्टाचार, सामाजिक स्वतंत्रता, स्वस्थ जीवन के जवाब के आधार पर रैंकिंग की जाती है।
अमेरिका, रूस, जर्मनी और चीन में भी खुशहाली का स्तर गिरा
दक्षिण सूडान सबसे कम खुशहाल, ब्रिटेन ने सुधारी रैंक
सबसे खुशहाल कम खुशहाल
1. फिनलैंड दक्षिण सुडान
2. डेनमार्क अफ्रीकन रिपब्लिक
3. नॉर्वे अफगानिस्तान
4. आइसलैंड तंजानिया
5. नीदरलैंड रवांडा
6. स्विट्जरलैंड यमन
7. स्वीडन मालावी
8. न्यूजीलैंड सीरिया
तो मुझसे कोई पूछे कि आप कहाँ रहना पसंद करोगे ? तो इस सवाल का जवाब है कि मैं भूटान में रहना पसंद करूंगा जो देश हैप्पीनेस के महत्व को जानता है या फिर मैं हुंजा घाटी में रहना पसंद करूंगा या POK पाक अधिकृत कश्मीर में गिलगित के पास है और वहां शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, प्रदूषण रहित वातावरण है और इसीलिए वहां के लोग लंबी उम्र जीते हैं । विश्व में बढ़ते प्रदूषण और अन्न जल दूषित होने के कारण लोगों का स्वास्थ्य तेजी से खराब हो रहा है और कई तरह की बीमारियों से लोग ग्रस्त हो रहे हैं तथा समय से पूर्व ही उनकी मौतें हो रही हैं । बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कुछ देशों ने मोटर कार,गाड़ियों को प्रतिबंधित कर दिया है । क्या आप जानते हैं ऐसे देशों या द्वीपों के बारे में ? अगर नहीं तो मैं बताता हूं – अमेरिका के मिशीगन में मैकिनैक नाम का एक सुंदर द्वीप है, स्वाभाविक है कि उस द्वीप पर जाने के लिए नाव या प्लेन से जाया जाये लेकिन वहां जाने के बाद टैक्सी की आशा मत रखना ! वर्ष 1898 से वहां की सरकार जागृत हो गई और धुआं निकालने वाले वाहन पर प्रतिबंध लगा दिया । कहीं भी जाना हो तो पैदल जाओ या साइकिल से जाना या फिर घोड़ा गाड़ी में बैठ जाओ । यह मैकिनैक द्वीप आज भी बहुत ही प्राकृतिक है, सुंदर है और लोकप्रिय है । मैं चाहता हूं कि दुनिया के हर देशों में कुछ ऐसी जगह होनी चाहिए और बढ़ानी चाहिए कि जहां आने वाली पीढ़ियां अच्छी सांसे ले सके, शुद्ध हवामान में जी सकें, घूम सके और प्रकृति का भरपूर आनंद ले सकें ।
अभी पिछले दिनों साइकिल चालकों के लिए रास्ते पर सुरक्षा की तरफदारी के लिए उत्तरी न्यू साउथ वेल्स के सड़कों,रास्तों पर से पेडल मारकर पसार होने का वर्ल्ड नेकड बाइक राइड के क्लॉथिंग ऑप्शनल थीम का कम से कम 50 साइकिल चालकों ने लाभ लिया । द वर्ल्ड नेकड बाइक राइड शनिवार याने 9 मार्च 2019 दोपहर को क्वींसलैंड की सीमा – निम्बिन की ओर अपने रास्ते जब आगे बढ़ी तो लोग देखने के लिए उमड़ पड़े और यह द वर्ल्ड नेकड बाइक राइड बाइकटीविस्ट का 11वाँ वार्षिक रैंडीशन याने संस्करण था । यह संगठन रास्तों पर चल रहे यात्रियों, साइकिल चालकों व ड्राइवरों के लिए जागृति लाने का प्रयास करता है ।
इन साइकिल सवारों ने हेलमेट की अपेक्षा थोड़ा ज्यादा पहनकर तो कुछ साइकिल सवारों ने बॉडी पेंटिंग करके Bare as You Dare सवारी में Nimbin के रास्तों पर राइडिंग करते हुए क्वींसलैंड की सीमा के नजदीक निंबिन के रास्तों पर संपूर्णरूप से नग्न अवस्था में साइकिल चलाकर जब गुजरे तब लोगों ने तालियाँ बजाकर स्वागत किया और उन्हें प्रोत्साहित किया और सारे रास्ते लोगों की भीड़ उनको देखने के लिए उमड़ पड़ी । क्लोथिंग ऑप्शनल इवेंट साइकिल चालकों के रास्ते पर के अधिकारों और अधिक स्वच्छ सुरक्षित विश्व निर्माण के लिए जागृति बढ़ाने का प्रयास करती है । गुजरात मित्र अखबार में भी चित्र सहित यह खबर 12 मार्च, 2019 पेज नंबर – 17 को छपी थी ।
https://www.gujaratmitra.in/upload/12-3-2019/Surat.pdf
ग्रीस के एजीअन समुद्र में एक छोटा-सा द्वीप है लेकिन बहुत ही शांत, सुंदर रमणीक । नाम है हाइड्रा आईलैंड । यह द्वीप जैसा है उसे वैसा ही बनाए रखने के लिए सरकार ने पेट्रोल, डीजल के वाहनों पर रोक लगा दिया है । लोगों को कहीं आना-जाना हो तो घोड़े भी हैं और गधे भी हैं । द्वीप के चारों तरफ घूमने के लिए वॉटर टैक्सी है । ऐसे ही पूर्व अफ्रीका के केनिया में एक सुंदर द्वीप है लामू द्वीप । यह भी टैक्सी फ्री या कार फ्री द्वीप है । यहाँ आवागमन के लिए गधों का इस्तेमाल होता है । न तो कोई हॉर्न है, न कोई लाइन है, न धुँआ है, न साउंड पॉल्यूशन है, न एयर पॉल्यूशन है । क्या भारत में ऐसे द्वीप नहीं होने चाहिए ? फ्रांस के नौरमैनडी में सार्क नाम का द्वीप है । यहाँ एयरपोर्ट भी नहीं है । 600 लोगों की बस्ती वाले इस द्वीप में घोड़ा गाड़ी और साइकिल से सारा व्यवहार होता है । दिव्यांगों के लिए मोटर से चलने वाली साइकिल है तो सप्ताह में एक-दो दिन भारत में भी कार फ्री रहने का प्रचलन बढ़ना चाहिए । लक्ष्यदीप अंडमान के द्वीपों पर भी कार फ्री द्वीप भारत सरकार को घोषित करने चाहिए… अब, मैं आपको मैक्सिको की कंपनी ने सस्ते जैव ईंधन से गाड़ियाँ चलाने का आविष्कार किया है और आप चौक जायेंगे कि नागफनी के रस से तिहाई खर्च में गाड़ियाँ दौड़ रही हैं । ट्रैक्टर से जैव ईंधन बना रही है नौपलीमैक्स नाम की कंपनी ।
पढ़िये – (राजस्थान पत्रिका, 26.03.2019, पेज – 15)
पहल : मैक्सिको की कंपनी बना रही सस्ता जैव ईंधन, प्रायोगिक स्तर पर फिलहाल कर रही है प्रतिदिन 8 टन मीथेन का उत्पादन
नागफनी के रस से तिहाई खर्च में दौड़ रही हैं गाड़ियां
पत्रिका न्यूज नेटवर्क patrika.com
नई दिल्ली. तेल के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए सरकार पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने के साथ ही बायो फ्यूल को बढ़ावा देने के प्रयास सरकार की ओर से किए जा रहे हैं। देश में जहां जेट्रोफा से बायो डीजल के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं मेक्सिको की एक कंपनी नागफनी (कैक्टस) के रस से मीथेन बनाकर गाड़ियों को दौड़ा रही है।
नोपलीमैक्स नाम की कंपनी ने | 2015 में कारों को चलाने में कैक्टस
जूस का इस्तेमाल शुरू किया था। यह नोपल नाम की नागफनी से जैव ईंधन बनाती है. नोपल को इस गुण के चलते ही ‘ग्रीन गोल्ड ऑफ मेक्सिको’ भी कहा जाता है। शुरुआती दौर में कारों में इस्तेमाल करने के बाद अब इस जैव ईंधन का इस्तेमाल नगर बसों और सरकारी वाहनों में भी किया जा रहा है। कंपनी फिलहा प्रतिदिन 8 टन मीथेन का उत्पादन कर रही है।
कैक्टस से इस तरह बनाया जाता है जैव ईंधन
सबसे पहले नोपल कैक्ट्स को साफ किया जाता है। उसके बाद इसे जैविक खाद के साथ। मिलाकर सड़ने (किंपोज) होने के लिए छोड़ दिया जाता है। कुछ दिनों में पूरी होने वाली इस प्रक्रिया में मीथेन पैदा होती है, जिसे वाहनों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है कंपनी का कहना हैं कि नोपल से जैव ईंधन बनाने की लागत केवल 44.76 रुपए। (0.65 डॉलर) प्रति लीटर पड़ेगी। यह पारंपरिक ईंधन के मुकाबले । करीब एक तिहाई है।
ईंधन के साथ मिलती है अच्छी खाद भी
कंपनी का कहना है कि नोपल से ईंधन बनाने से जो कचरा बचता है उसे एक बेहतरीन खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। किसी भी तरह के कृत्रिम रसायनों से मुक्त यह खाद पूरी तरह प्राकृतिक होती है।
हमारी तैयारी
भारत में जेट्रोफा के जरिए बायो। डीजल बनाने के प्रयास हाल के वर्षों में शुरू किए गए हैं।
तेल के आयात में निर्भरता को कम करने के लिए बायोफ्यूल को बढ़ावा देना होगा । इलेक्ट्रिक इंजन बनाने होंगे । अभी तो सूरत की एक छात्रा ने ईंधनरहित इंजन बनाया है । सूरत की वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी की शोध छात्रा डॉ. तेजल रावल ने डॉ. ईश्वर पटेल के मार्गदर्शन में नितिनॉल धातु से इंजन तैयार किया है । गुजरात के राज्यपाल ने इस छात्रा को सम्मानित किया है और इस आविष्कार की पेटेंट प्रोसेस भी शुरू हो गई है ।
पढ़िये – (राजस्थान पत्रिका, 10.3.2019, पेज नंबर – 2)
पीएचडी की छात्रा ने बनाया ईंधनरहित इंजन
पत्रिका न्यूज नेटवर्क| patrika.com |
सूरत. पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम और इनसे फैलनेवाले प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए वीर नर्मद
दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के फिजिक्स विभाग की छात्रा तेजल रावल ने ईंधनरहित इंजन तैयार किया है । उसकी इस शोध का पेटेंट भी कराया गया है । दुनियाभर में पेट्रोल और डीजल की मांग और दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है । कई वैज्ञानिक वाहनों के लिए तरह-तरह के ईंधन और इंजन की शोध में जुटे हैं । पेट्रोल और डीजल का विकल्प खोजा जा रहा है । इलेक्ट्रिक बैटरी से चलनेवाले वाहन बनाने में सफलता मिली, लेकिन यह प्रक्रिया काफी महंगी साबित हुई । वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के फिजिक्स विभाग के प्राध्यापक डॉ. आई. बी. पटेल के मार्गदर्शन में पीएचडी कर रही छात्रा डॉ. तेजल रावल ने स्टार मेन्युप्लेटर फ्युअललैस एसएमए इंजन पर शोध की । शोध में डॉ. तेजल को आठ साल लगे । शोध के लिए उसने देश के कई शहरों का भ्रमण किया । इंजन की शोध में सफलता मिलते ही उसने इसे पेटेंट करवा लिया । हाल ही विश्वविद्यालय में हुए 50वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ओ.पी.कोहली ने डॉ. तेजल रावल को मेडल देकर सम्मानित किया ।
ऐसे काम करता है नीटीजोल धातु से तैयार इंजन
डॉ. तेजल ने निकल और टाइटेनियम को मिक्स कर नितिनॉल धातु तैयार की । इस धातु से स्टार मेन्युप्लेट फ्यूल एसएमए इंजन बनाया गया । इसके साथ बेटरों को जोड़ा गया । इसमें पाँच स्टार शेप्ड मेमरी मेन्युप्लेटर, थर्मो इलेक्ट्रिक जनरेटर, पिस्टन लगाया गया । पिस्टन से मेन्युप्लेटर ऊपर-नीचे होगा । इससे गर्मी उत्पन्न होगी और थर्मो इलेक्ट्रोनिक जनरेटर से इलेक्ट्रिसिटी में कन्वर्ट होकर बैटरी में प्रवेश करेगी । सारी ऊर्जा बैटरी में स्टोर होगी । उसमें बिजली उत्पन्न होने की प्रक्रिया लगातार चलती रहेगी । इस बिजली से इंजन चलेगा ।
विश्वविद्यालय की यह दूसरी शोध है, जिसका पेटेंट कराया गया है । पहले भौतिक विभाग की ही डॉ. किरण राठौड़ ने जिंक थायोरिया सल्फेट के संशोधन का पेटेंट कराया था ।
डॉ. ईश्वर पटेल, मार्गदर्शक, प्राध्यापक, फिजिक्स विभाग, वीएनएसजीयू
फ्युअललैस इंजन ऑटो ५ मोबाइल क्षेत्र को नई दिशा देगा । इससे मोटर बाइक, कार और ट्रक के इंजन बनाए जा सकेंगे । शोध के लिए मुंबई, अहमदाबाद और चेन्नई के दौरे किए । आठ साल की मेहनत के बाद यह इंजन बनाने में सफलता मिली ।
डॉ. तेजल रावल, शोधकर्ता, फिजिक्स विभाग, वीएनएसजीयू
बढ़ते जानलेवा प्रदूषण को कम करने के लिए कई कंपनियाँ प्रयासरत हैं यह जानकर मुझे खुशी हो रही है । जैसेकि महिंद्रा ने वेरिटो कार लॉन्च की है जो पूर्णता इलेक्ट्रिक कार है । ऐसे ही बजाज कंपनी ने क्यूट फोर व्हील सीएनजी संचालित क्वाड्री साइकिल निकाली है । आनेवाले समय में प्रदूषण नहीं करनेवाले या कम से कम करनेवाले वाहन निर्मित हो यह बहुत जरूरी है और इसके लिए हमें अभी से फोकस करना चाहिए । एंटीएजिंग विश्व में बढ़ती उम्र को रोकने का कारोबार बढ़ रहा है । प्रदूषणयुक्त हवामान दूषित अन्न और जल से असमय बुढ़ापा आने लगा है । एक जानकारी के अनुसार विश्व में एंटीएजिंग का कारोबार 22,680 अरब का है । ये आनेवाले 2022 तक बढ़कर 30,030 अरब का होने का अंदेशा है । तनावयुक्त जीवनशैली इंसान को समय से पूर्व ही वृद्ध बना रही है । एक खास बात और करना चाहता हूँ । तेजस्वी देसाई नामक सूरत की एक छात्रा ने 50 रुपये के खर्च से एक प्रोजेक्ट तैयार किया है । जो प्रोजेक्ट भारत को विश्व में गौरवान्वित करेगा । वाहनों में से निकलने वाले कार्बन डाई ऑक्साइड के बदले ऑक्सीजन और बिजली का सर्जन होगा । ऐसा अनोखा, उपयोगी और पर्यावरण के लिए फायदेमंद आविष्कार किया है । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत को गौरव प्रदान करेगा यह प्रोजेक्ट ऐसा उपयोगी है । गुजरात राज्य के श्रेष्ठ 127 प्रोजेक्ट्स में से पहले नंबर पर इस प्रोजेक्ट को पसंद किया गया है ।
पढ़िए – (संदेश, सूरत संस्करण, 17.3.2019, पेज – 3)
तेजस्वी देसाई का मात्र ५० रुपये के खर्च में तैयार किया गया प्रोजेक्ट देश को गौरव दिलायेगा
सूरत की विद्यार्थी का प्रोजेक्ट जापान सायन्स फेर में
संशोधन: वाहनों में से निकलते हुए कार्बनडायोक्साइड की जगह ऑक्सीजन और बिजली का सर्जन करता हुआ प्रोजेक्ट
सूरत की विद्यालय और कॉलेज में समयांतर पर आयोजित किये जाते विज्ञान मेले में विद्यार्थी समाज के उपयोगी एक से एक हटकर प्रोजेक्ट प्रदर्शित करते है जिसके अंतर्गत सूरत की एक विद्यार्थी ने मात्र ५० रुपये में तैयार किया हुआ प्रोजेक्ट राज्य और राष्ट्रीय कक्षा पर ही नहीं, परन्तु आंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत देश को गौरव दिलायेगा विद्यार्थी का यह प्रोजेक्ट जापान में आयोजित किये जानेवाले सायन्स फेर में दिखाया जाएगा ।
सत्यसाईं एजुकेशन ट्रस्ट – सूरत संचालित एच.एम. बचकानिवाला सरदार हाई स्कूल की कक्षा – ११ कॉमर्स की विद्यार्थी तेजस्वी देसाई ने विद्यालय के शिक्षक सुनील जाधव और आचार्य बहन ज्योति बहन पारीख के मार्गदर्शन में इंस्पायर अवार्ड के अंतर्गत “हवा में से कार्बन डायोक्साइड का शोषण करके उसमे से विद्युत प्राप्त करना” नाम का इनोवेटिव प्रोजेक्ट प्रदर्शित किया था | मात्र ५० रुपये के खर्चे में तैयार किया हुआ प्रोजेक्ट जिला स्तर के विज्ञान मेले में १०८ विद्यालयों में प्रथम, सुरेंद्रनगर में आयोजित राज्य कक्षा के विज्ञान मेले में राज्य के श्रेष्ठ १२७ प्रोजेक्ट में से प्रथम क्रम पर आया था | फरवरी – २०१९ में आई.आई.टी. – नई दिल्ली में आयोजित प्रदर्शन में देशभर की ८०० विद्यालयों में आंतरराष्ट्रीय कक्षा पर पसंद किया गया था| भारत देश की ४२ विद्यालयों के विद्यार्थियों के प्रोजेक्ट की सरकार के विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आंतरराष्ट्रीय कक्षा पर पसंदगी की हुई है ।
जिसमें गुजरात राज्य में से एकमात्र तेजस्वी देसाई का प्रोजेक्ट पसंद किया गया है | २० से २६ मार्च के दौरान जापान के टोकियो में आयोजित “सकुरा सायन्स हाई स्कूल प्रोग्राम ऑफ़ जापान” में यह प्रोजेक्ट प्रदर्शित किया जाएगा |
प्रोजेक्ट की विशेषता पर्यावरण के लिये उपयोगी साबित होगी
प्रोजेक्ट के बारे में तेजस्विनी ने बताया था कि, सांद्र हाइड्रोलिक ऐसिड या तो खाने का नमक, धोने का सोडा, पानी, ग्रेफाइट की छड़ी, एल्युमिनियम की छड़ी, फ़िल्टर पेपर, वायर, मल्टीमीटर जैसी चीजों का उपयोग करके प्रोजेक्ट बनाया गया है | साद्र हाइड्रोलिक ऐसिड और धोने के सोडा को अलग-अलग बीकर में लेकर केथोड और ऐनोड पर होता हुआ रासायनिक प्रसंस्करण, सॉल्ट ब्रीज की मदद से जोड़कर, केथोड़ और ऐनोड को मल्टीमीटर के द्वारा जोड़ने से कार्बनडायोक्साइड के शोषण के साथ-साथ १.९ वोल्ट की विद्युत ऊर्जा भी उत्पन्न होती है | वाहनों में यह प्रक्रिया का उपयोग करके कार्बनडायोक्साइड की जगह पर ऑक्सीजन के सर्जन के साथ विद्युत ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है |
तो मैं चाहता हूँ भारत सरकार इस प्रोजेक्ट पर जल्द से जल्द कार्य शुरू करें । ताकि गाड़ियों से निकलने वाला हानिकारक धुँआ कार्बन डाई ऑक्साइड नहीं, बल्कि ऑक्सीजन का उत्सर्जन करें । साथ में बिजली भी बनाएं ताकि प्रदूषण कम हो और शुद्ध हवामान देशवासियों को प्राप्त हो सकें । अगर जल्द से जल्द यह किट बाजार में आती है तो सभी गाड़ियों वाले इसे अवश्य लगाएंगे । नई बनने वाली गाड़ियों में भी इस किट को पहले से ही लगाने का प्रावधान किया जा सकता है और उन कंपनियों को इस करार पर सहमत किया जा सकता है । यह तकलीफ पूरे विश्व में सभी गाड़ियों, कारों, बसों, ट्रकों में इस्तेमाल होने से विश्व में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो सकता है । इस शोध के लिए मैं तेजस्वी देसाई को खूब-खूब बधाई देता हूँ । जापान में भी यह प्रोजेक्ट प्रदर्शित किया गया ऐसी मुझे जानकारी मिली । अब ईश्वर की इस दुनिया में कुछ रहस्य ऐसे हैं जो समझ से बाहर है । बुद्धि की पकड़ में कभी ईश्वर आता है क्या ? एक खबर आई है कि अमेरिका के पेंसिलवेनिया इलाके में एक ऐसा पक्षी मिला है । जो आधा नर है, आधा मादा है । half male, half female इस पक्षी को देखकर वैज्ञानिक लोग भी चकित हो उठे हैं । एक ही अंडे में zw और zz दोनों क्रोमोजोम के साथ पक्षी कैसे पैदा हो सकता है । यह एक पहेली है जो वैज्ञानिकों को हैरान कर रही है । यह ईश्वर कैसे है ? कर्तुं शक्यं, अकर्तुं शक्यं अन्यथा कर्तुं शक्यं*** कि जो असंभव है, नामुमकिन है वह भी संभव और मुमकिन हो जाता है । इस विश्व में ऐसे कई रहस्य है, पहेलियाँ है, घटनाएँ है जो अब तक वैज्ञानिकों की समझ में नहीं आई है । जब यह रहस्य समझ में नहीं आए तो रहस्यमयी ईश्वर बुद्धि से कैसे पकड़ में आएगा । वो तो पार है बुद्धि से, उसकी अनुभूति होगी । विश्रांति, आत्म विश्रांति में डूबना होगा । तो इस रहस्यमय पक्षी के बारे में पढ़िए और इसे बनाने वाला ईश्वर कितना रहस्यमय होगा ये सोचकर उसके आनंद में, उसकी आश्चर्यमय लीलाओं में डूब जाइयेगा ।
पढ़िये – (गुजरात समाचार, पेज – 14, 23.3.2019)
अमेरिका में आधा नर और आधा मादा के शरीर वाला पक्षी मिला
न्यूयॉर्क दिनांक 22, अमेरिका के पेंसिलवेनिया के एरिया में आधा नर और आधा मादा के लक्षणों वाला रेयर पक्षी मिला । पक्षी की बाएं तरफ का हिस्सा फीमेल और दाएं तरफ का हिस्सा मेल जैसा था । वैज्ञानिकों का मानना था कि कई कीट और पतंगों में यौन विभाजन होता रहता है पर पक्षी में यह मिडल कैरेक्टर अजीब लग रहा था । कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की लैब ऑफ ओनीथीलॉजी के जीव विज्ञानी डेनियल कूपर के मुताबिक गायनड्रोमोफेर्स में दो भ्रूण अलग अलग विकसित होते हैं । पक्षियों के अंगों में फीमेल क्रोमोजोम zw और मेल क्रोमोजोम zz यह दोनों होते हैं । एक z क्रोमोजोम के साथ दोनों क्रोमोजोम फलित होते हैं जबकि मनुष्यों में फीमेल xx और पुरुषों के क्रोमोसोम xy कहे जाते हैं । पक्षियों के क्रोमोजोम का विभाजन होता है तब भी वे zw या zz ही रहते हैं इसलिए वह मेल या फीमेल एक ही हो सकता है । इसलिए वैज्ञानिकों को आश्चर्य हुआ कि एक अंडे में zw और zz दोनों कोशिकाओं के साथ पक्षी कैसे पैदा हो सकता है ।
वेस्टर्न इलिनॉय यूनिवर्सिटी के बायोलॉजी के प्रोफेसर बायर्न पियर ने विंटर सीजन के दौरान ऐसे दो पक्षी देखें ।
और अब अंत में, मन्नत नूर की रचना को प्रस्तुत करते हुए इन संदेश को मैं विराम देता हूँ ।
वो जो आँखों से ओझल न होते थे कभी
वो हो गए लापता देखते-देखते
वो जो कहते थे बिछड़ेंगे ना कभी
वो हो गए अलविदा देखते-देखते
कोई हमसे पूछे कि खता क्या हुई
क्यों हो गए वो खफा देखते ही देखते
आते थे जो सांस बनके कभी
वो हवा हो गए देखते-देखते
बचपन से जो दौड़े फिर बुढ़ापे में गिरने लगे
फिसल गयी ये जिन्दगानी देखते ही देखते
अब सरक रही है, फिसल रही है ये जिन्दगानी
और इस जिन्दगानी में शीघ्र ही हम सबको मिलकर बदलावों की बहार लानी है
और अगर हम प्रयास करेंगे तो देखते ही देखते समाज को, देश को और दुनिया को बदलते जाएँगे
शुरुआत खुद से करें । जैसे भूटान 48 साल पहले खुशी को तरक्की का पैमाना मानने और इस संविधान में जोड़ने वाले देश के रूप में विकसित हुआ और वहाँ बदलाव का आधार जीडीपी को बढ़ाने से ज्यादा जीएनपी (Gross National Happiness) पर फोकस किया । ऐसी ही सोच को लेकर हमें पूरे विश्व को लेकर चलना है । पूरे विश्व के सभी देशों को इस तरफ आगे बढ़ना है और ओजस्वी अध्यात्म की वेदान्तिक जीवनशैली को आत्मसात् करना है । तो अवश्य ही हम बदलावों के नायक बनेंगे, चेंज मेकर्स बनेंगे और स्वयं को, दुनिया को बदल देंगे । तो सिर्फ हमें जरूरत और लालच के बीच का फर्क ठीक से समझना होगा । श्रेष्ठ विचारों व उमदा कार्यों को फैलाने में तत्पर होना होगा । तब सब संभव होगा ।
आनंदम् भवतु… प्रसन्नो भवः…
लोकाहार समस्ता सुखिनो भवन्तु ।।
आपका अंतरआत्मा –
नारायण साँईं
27.3.2019
प्रस्तुति – वैश्विक श्रेष्ठ विचार व उमदा कार्य प्रचार प्रसार संगठन द्वारा विश्व मानव के कल्याणार्थ जारी
Global Organization For Promotion of Nobel Thoughts and Deeds
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