विज्ञान कहता है प्रयोग करो, योग कहता है अनुभव करो । दोनों एक ही बात है । जैसे हर धर्म का व्यक्ति वैज्ञानिक हो सकता है ठीक उसी प्रकार हर धर्म, मत – पंथ – संप्रदाय का व्यक्ति योगी हो सकता है । चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, जैन हो या ईसाई, पारसी हो या यहूदी – किसी भी धर्म का व्यक्ति योगी बन सकता और है, हो सकता है । योगी धर्म की दीवारों का अतिक्रमण – करके अध्यात्म की ऊँचाइयों पर पहुँचते हैं । अध्यात्म + तो वह ऊँचाई है जहाँ से धर्मों का प्रगट्य होता है । अतः –
योगी बनें, योगी बनाएँ, योग फैलाएँ।