वैलेंटाइन डे के रूप में पाश्चात्य की अंधी दौड़ जो दुनिया दौड़ रही थी अब पिछले कुछ वर्षों से इस अंधी दौड़ से रुख बदलकर ओजस्वी भारत का आध्यात्मिक दृष्टिकोण लेकर मातृ-पितृ पूजन दिवस महोत्सव एक नई परंपरा का प्रारंभ कर रहा है और इतिहास रच रहा है । भारत के इस दिव्य महोत्सव को आत्मसात करने वाले सभी देश-विदेश के लोगों को मेरी शुभकामनाएं ।