पर्यावरण के प्रति जागरूकता और समाधान
पर्यावरण की अवहेलना के गंभीर दुष्परिणाम समूचे विश्व में परिलक्षित हो रहे हैं । अब सरकार जितने भी नियम-कानून लागू करें उसके साथ साथ जनता की जागरूकता से ही पर्यावरण की रक्षा संभव हो सकेगी । इसके लिए कुछ अत्यंत सामान्य बातों को जीवन में दृढ़तापूर्वक अपनाना आवश्यक है । जैसे –
- प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष यादगार अवसरोंपर अपने घर, मंदिर या ऐसे स्थल पर फलदार अथवा औषधीय पौधा-रोपण करे, जहाँ उसकी देखभाल हो सके ।
- उपहार में भी सबको पौधे दें ।
- शिक्षा संस्थानों व कार्यालयों में विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारीगण राष्ट्रीय पर्व तथा महत्त्वपूर्ण तिथियों पर पौधे रोपें ।
- विद्यार्थी एक संस्था में जितने वर्ष अध्ययन करते हैं, उतने पौधे वहाँ लगायें और जीवित भी रखें ।
- प्रत्येक गांव/शहर में हर मुहल्ले व कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनायी जाये ।
- निजी वाहनों का उपयोग कम से कम किया जाए ।
- रेडियो-टेलीविजन की आवाज धीमी रखें । सदैव धीमे स्वर में बात करें । घर में पार्टी हो तब भी शोर न होने दें ।
- जल व्यर्थ न बहायें । गाड़ी धोने या पौधों को पानी देने में इस्तेमाल किये पानी का प्रयोग करें ।
- अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोडें । पॉलीथिन का उपयोग न करें । कचरा कूड़ेदान में ही डालें ।
- अपना मकान बनवा रहे हों तो उसमेंवर्षाके जल-संरक्षण और उद्यान के लिए जगह अवश्य रखें ।
- ऐसी अनेक छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर भी पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है । ये आपके कई अनावश्यक खर्चों में तो कमी लायेंगे ही, पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की आत्मसंतुष्टि भी देंगे ।
- साँसे हो रही हैं कम, आओ पेड़ लगायें हम
- कुछ पेड़ उगाएँ, आओ पौधे लगाएँ…
- बीजों को कूड़े में फेंकने की बजाय, आओ पौधे बनाएँ…
- अनार, खजूर, नीम्बू आदि के बीज, आम की गुठलियों को अब तक आप फेंक चुके…
- अगर आप थोड़ा-सा प्रयास करते तो इनसे कई पेड़-पौधे अब तक तैयार कर सकते थे… । अब तक न किया तो अब करें…
- पर्यावरण रक्षा का संकल्प करें, आपका थोड़ा-सा प्रयास इस दुनिया को बेहतर
- बना सकता है ।
- – नारायण साँईं ‘ओहम्मो’