जो आपसे ईर्ष्या करते हैं, वे स्वयं ही ईर्ष्या की आग में जलते है । आपसे ईर्ष्या करनेवालों से आपको डरने या चिंतित होने या पीड़ित होने की जरुरत नहीं, बल्कि आपको उन्हें माफ करने की जरुरत है । आप अपनी प्रगति में अपना समस्त ध्यान केंद्रित कीजिये ! ईर्ष्या तो उस दीमक के समान [...]
आप वही बनते हैं जैसी आपकी मान्यता होती है । जिसमें आपको जैसा भरोसा होता है । आज आप जीवन में जहाँ भी हैं आपकी मान्यताओं, विचारों, कोशिशों और भरोसे के कारण ही हैं । मुश्किल, असंभव, कठिन और नामुमकिन लगनेवाले कार्य को आप कर सकते हैं - ये भरोसा कीजिए । ऐसी ऊँचाई पर [...]
सुअर के लिए मखमल बिछा दो लेकिन वो कीचड़ में ही जाकर लोटेगा । इसी प्रकृति के कुछ लोग हमसे भी टकरा जाते है । क्या करूँ, उनसे किनारा कर लेता हूँ । उलझने से क्या फायदा ? ऐसा ही तुम्हें भी करना चाहिये । उच्च विचारवालों से मैत्री, कूपमंडूक - संकीर्ण विचारधारावालों से किनारा [...]
हरेक संबंध एक यात्रा है । कभी विवाह - व्यक्ति को संपूर्ण बनाने में मदद भी कर सकता है लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता । विवाह से अकेलापन हमेशा दूर होता हो ऐसा भी नहीं है । कई बार विवाह, करने से न करना अधिक बेहतर होता है । (Every relationship is a journey. [...]
क्या नहीं लगता कि फरियाद करना, शिकायत करना हमारी आदत सी बनती जा रही है ? थोड़ा गौर करना भीतर, पता चलेगा कि दूसरों की गलतियाँ देखने में हम हमारी गलतियों को देखना नजर अंदाज कर देते है । चलो छोड़ो, आज तक जो हो चुका.....आज और अभी से हम स्वयं को बदलने में लग [...]
गुरुदेव ने मंत्र दिया था – ‘न दैन्यं न, पलायनं ।’ कि ना तो दीनता स्वीकार करो, न पलायनवाद अंगीकार करो ! चलते रहो हिम्मत से, आगे बढ़ो बल से । पलायन मत करो ! ये खास बात है । पलायनवादी, डरपोक, दीन-हीन-दुर्बल के लिए आत्मोपलब्धि कठिन है, असंभव है ।
अखंड भारत, विश्वगुरु भारत, श्रेष्ठ-समृद्ध भारत, दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी भारत का सपना पूरा करने के लिए आओ, हम स्वयं को बदलें, समाज को बदलें और दुनिया को बदलें ! क्योंकि ये संभव है !
चाहे कितना भी जीवन बुरा क्यों न लगे परन्तु जब तक जीवन है तब तक आशा है, उम्मीद है, संभावनाएं हैं और अवसर हैं । डोन्ट गिव अप । निराशा-हताशा छोड़ो । चाहे जीवन कितने ही संकटों के बीच से क्यों न गुजरे... अवरोध कितने ही क्यों न आएं... आशा की किरण आपसे जुड़ी है, [...]
"जितना बड़ा संघर्ष, उतनी शानदार जीत ।" स्ट्रगल बिना की जिंदगी का मजा ही क्या है ? जिंदगी में स्ट्रगल होना ही चाहिये तभी मजबूती भी आती है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है ।
क्या तुम्हें भगवान के दर्शनों की इच्छा नहीं होती? क्या तुम्हें भगवान की हित कारक वाणी सुनने को जी नहीं करता ? अगर जी करता है तब तो सौभाग्य है, नहीं तो अपने मन को समझाओ और भगवान की ओर अपने जीवन को ठीक से लगा दो विलक्षण आनंदानुभूति होगी।
वैद्य का दिया विष भी दवा का काम करता है,लेकिन अपने आप लिया हुआ विष मार देता है, ठीक उसी प्रकार गुरु आज्ञा अनुसार की हुई साधना साधक को तार देती है,पर मनमानी साधना साधक के पतन का कारण हो सकती है।