गुरुदेव ने मंत्र दिया था – ‘न दैन्यं न, पलायनं ।’ कि ना तो दीनता स्वीकार करो, न पलायनवाद अंगीकार करो ! चलते रहो हिम्मत से, आगे बढ़ो बल से । पलायन मत करो ! ये खास बात है । पलायनवादी, डरपोक, दीन-हीन-दुर्बल के लिए आत्मोपलब्धि कठिन है, असंभव है ।

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