वर्तमान को बेहतर बनायें और भविष्य को उज्जवल स्कॉटलैंड देश की एक आध्यात्मिक शिक्षिका व लेखिका है इलीन केडी । बहुत बढ़िया बात कही है उन्होंने । वे कहती हैं – ‘हमेशा याद रखिए कि प्रेम, आनंद और सुख – एक उचित वातावरण को सृजित करता है और समान विचार के लोगों को पास में [...]
पहली तो होती है श्रद्धा । बिना श्रद्धा के... शालिग्राम में श्रद्धा रखनी पड़ती है, भगवान की मूर्ति में भी श्रद्धा रखनी पड़ती है । नास्तिक बोलेगा कि यह मूर्ति थोड़ी है, भगवान थोड़ी है, यह तो पत्थर है । नहीं... नास्तिक के लिए तुलसी पौधा है, फायदा नहीं होगा । गंगा केवल नदी है [...]
शब्दों से परे है प्रेम का एहसास देखो, आपको प्रेम करनेवाले जो भी हैं, यह संभव है कि वे आपका अहित भी कर सकते हैं, और आपकी अवहेलना, तिरस्कार व धिक्कार करनेवाले आपका हित-मंगल-कल्याण भी कर सकते हैं । प्रेम और नफरत करनेवालों के दो अलग गुट नहीं होते । सवाल हार-जीत का नहीं है [...]
सतत सावधानी ही साधना है (पूज्य साँईंजी की बोधप्रद वाणी) सतत सावधानी ही साधना है । असावधानी और लापरवाही असफलता का कारण है । चाहे कोई भी कार्य करो, उसमें सावधानी आवश्यक है । असावधान मछली काँटे में फँस जाती है, असावधान साँप मारा जाता है, असावधान हिरण शेर के मुख में चला जाता है, [...]
प्रसन्नता को अपना स्वभाव बना लो मेरे आत्मस्वरूप वत्स… ! भविष्य को लेकर सपने देखना, अतीत से जुड़े इतिहास से कहीं ज्यादा सुन्दर होता है ! अत: जो बीता, उसे भूलो । अपनी क्षमताओं को पहचानो । भविष्य के उज्ज्वल सपने देखो, उन्हें पूर्ण करने में जुट जाओ ! मैं तुम्हें असीम ऊर्जा से भर [...]
आनंद में रहकर आनंद का विस्तार करें... मैं एक सूत्र दे रहा हूँ - ‘स्वयं को बदलो, देश को बदलो, दुनिया को बदलो ।’ दुनिया और देश को बदलने के लिए शुरुआत हम स्वयं से करें । आजकल ऐसा देखा जा रहा है कि लोगों की दिनचर्या का अधिकांश हिस्सा परनिंदा और परदोषदर्शन में बीत [...]
शब्द व्यक्तित्व को निखारनेवाली संजीवनी है... प्रशंसा करने में ईमानदार इंसान कितने ? क्या इस मामले में हम और आप वास्तव में ईमानदार हैं ? हकीकत ये है कि अपना मतलब सिद्ध करने के लिए हम किसीके भी आगे प्रशंसा के पुल बाँधना शुरू कर देते हैं । ईमानदारी से प्रशंसा भी नहीं कर सकते [...]
योग केवल आसन ही नहीं सम्पूर्ण जीवनशैली है ! सूरत जेल में विपश्यना का यह दूसरा शिविर 10 दिन का दिनांक 9 नवम्बर, 2019 से प्रारंभ हुआ है । इस शिविर के मुख्य आचार्य के बारंबार अनुरोध पर पहली बार मैंने इस शिविर में भाग लेना स्वीकार किया । चूँकि पिछले कई वर्षों से मैं [...]
"बुद्धं शरणं गच्छामि । धम्मं शरणं गच्छामि । सत्यं शरणं गच्छामि ।" मैं बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म को अलग कर पाने में कठिनाई महसूस करता हूँ । एक ही सिक्के के दो पहलू है । उन्होंने सत्य को कुछ अलग नजरिये से देखा और वही नजरिया हमें बताया । सत्य ही एक है [...]
महर्षि रमण... कि जिन्होंने मुझे परोक्ष रूप से अत्यंत प्रभावित व मार्गदर्शित किया है । अध्यात्म पथ पर अग्रसर करने के लिए वे आज भी सूक्ष्म रूप से प्रेरित करते हैं। जिनके जीवन व उपदेशों से वेदांतिक जीवनशैली की ओर आगे बढ़ने के लिए नव उत्साह का संचार होता है । ऐसे महर्षि रमण कि [...]
नो फियर, नो फेल्योर । नो फियर ऑफ फेल्योर ! अपने भीतर के डर को संपूर्ण रूपसे खत्म कर दीजिए । कदम आगे बढाइये, दृढ़ता के साथ । डर के आगे जीत है। अपना बेस्ट दीजिए । शुरुआत तो कीजिए, बिना डरे, बिना झिझके । अगर आपने शुरुआत ही नहीं की, तो कुछ सालों बाद वहीं के वहीं पायेंगे खुदको - जहाँ आप अभी हैं । अत: मुश्किल, कठिन, असंभव से दिखने वाले कार्य की शुरुआत कीजिए, बिना डरे.... और आप पायेंगे... आप सफल होते जा रहे हैं।
मैत्री होती है हवा की तरह निर्बन्ध। सूर्य प्रकाश की तरह सर्वव्यापी । जीवन को मधुर, सुखमय बनाती है मैत्री। गरीब अमीर के बीच की खाई मिटाती है मैत्री। आशा है - हमारी मैत्री हमारे जीवन में परस्पर ज्ञान, प्रेम, अनुभव को विकसित करेगी। दुनिया को बेहतर बनाएगी !
मैं संपूर्ण आदर और श्रद्धा के साथ मेरे मार्गदर्शक, आचार्य, सद्गुरु को मैं विश्व में जहाँ भी हूँ, वहीँ से प्रणाम करता हूँ । जो कुछ दोष हैं वे मेरे हैं । और जो कुछ भी मेरे जीवन में सद्गुण हैं, अच्छाइयाँ हैं वो सब उनकी तरह से मिली हैं । मेरे जीवन की श्रेष्ठता [...]
‘‘बुद्धं शरणं गच्छामि । धम्मं शरणं गच्छामि । सत्यं शरणं गच्छामि ।’’ हमारे अंदर समता, समत्वदृष्टि आ जाए और सदैव प्रसन्न रहने की कला आ जाए, तो मौज ही मौज है ! आनंद ही आनंद है... !! तो बुद्ध पूर्णिमा के इस अनोखे अवसर पर सभी देशवासियों को और विश्ववासियों को मैं बुद्ध पूर्णिमा की [...]
आँवला नवमी आज के दिन किया गया जप, दान, तर्पण आदि का अक्षय पुण्य होता है। आज कपूर या घी के दीपक से आँवला वृक्ष के समीप दीपदान अवश्य करें। निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण आँवले के वृक्ष की प्रदक्षिणा करते हुए करें : यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च । तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे पदे [...]
नवरात्रि के अंतिम दिन हो अपनी जननी मातृशक्ति का पूजन ! जितने भी समर्पित सेवारत साधक भाई बहने हैं, उनके समर्पण, गुरुप्रेम, सेवा भाव और निष्ठा के पीछे उनके माता पिता का महत्व पूर्ण योगदान और हाथ है ।पूज्य साईं जी का यह कहना है कि नवरात्रि का अंतिम दिवस यानी दशहरे से एक [...]