धर्मसत्ता का काम राजसत्ता को जगाते रहने का है

नर्मदा नदी गुजरात राज्य से प्रवाहित होती है | नर्मदा नदी को बचाने के भरूच, गुजरात के स्वामी अलखगिरीजी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में गुजरात सरकार को जगाने गुजरात की राजधानी गांधीनगर में साधु-संत उपवास पर उतरेंगे यह खबर दैनिक भास्कर में 7 फरवरी, 2018 को पृष्ठ – 16 पर प्रकाशित हुयी थी |

नर्मदा में पानी न होने के कारण श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएँ आहत होती हैं | नर्मदा मैया को जीवंत करने की माँग के साथ संतों का उपवास गुजरात सरकार को जगाने के लिए है |

भरूच में झाडेश्वर स्थित गायत्री मंदिर के अलखगिरीजी महाराज का कहना है कि केवडिया से भाडभूत तक नर्मदा नदी के किनारे 200 से अधिक मंदिर और आश्रम हैं | स्कंद पुराण के अनुसार शिवालयों में नर्मदा मैया के पवित्र जल से अभिषेक करने का अनोखा महत्त्व है | पिछले चार साल से नर्मदा नदी सूख गयी है और नदी में समुद्र का खारा पानी आने लगा है | नर्मदा नदी में अभिषेक का पानी भी न होने से संतों में भारी नाराजगी देखी जा रही है | तटीय इलाकों के आश्रमों और गौशालाओं में नर्मदा नदी के पानी का ही उपयोग होता है | नर्मदा नदी को डैम बनाकर इसके जल को बाँध दिया गया है | नर्मदा नदी अपने सहज स्वाभाविक रूप से बहते हुए सागर में निरंतर मिलती जाए इतना पानी भी अब इसमें बचा नहीं है | साधु-संत लोग नदी में स्नान भी नहीं कर सकते | नर्मदा नदी में जो पानी है वह समुद्र और गटर का पानी है और इसी पानी में लोग स्नान करते हैं और बोतल भरकर अपने घर ले जाते हैं | यह महापाप है |

नर्मदा नदी को जीवंत रखने के लिए और गुजरात सरकार को जगाने के लिए साधु-संत गांधीनगर में अहिंसक आंदोलन करते हुए उपवास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं | नर्मदा का पानी सौराष्ट्र और कच्छ तक पहुँच गया है, लेकिन भरूच और नर्मदा के 300 से अधिक गाँवों के किसान सिंचाई के लिए तड़प रहे हैं |

भरूच जिला किसान समाज के नेता विपुल पटेल ने भी कहा कि डाउन स्ट्रीम के 300 से अधिक गाँवों में सिंचाई की विकट समस्या है |   (source :दैनिकभास्कर – (16), 7-2-18)

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