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ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
आज के समय में लोग अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं, वातावरण को कम से कम प्रदूषित करने का प्रयास करें ।
सूर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा का उपयोग बढ़ाएँ ! कुदरती संपत्तियों का महत्व समझें और उसका दुरुपयोग न करें ।