मैं, माँ लक्ष्मीनन्दन नारायण साँईं सुपुत्र संत श्री आशारामजी बापू, आपको दीपावली एवं नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ । आनेवाला वर्ष आपके उत्साह, उमंग, साहस और प्रसन्नता में बढ़ोतरी करें… आपके आरोग्य एवं आयुष्य को दीर्घकालीन श्रेष्ठ बनाए रखें… आपकी मंगल मनोकामनाओं को पूर्ण करें… शुभं करोति कल्याणं… !
अँधेरे को मिटाने का मतलब अँधेरों से लड़ना है, आज हमारा जीवन न जाने कितने अँधेरों से घिरा हुआ है, अज्ञान का अँधेरा, अंध विश्वासों का अँधेरा, नफरत का अँधेरा, करुणा–दया के अभाव का अँधेरा, स्वार्थों के अँधेरा… अँधेरों के इस चक्रव्यूह में न जाने कितने घेरे हैं, इस चक्रव्यूह को भेदना भी है और सुरक्षित बाहर आना भी है ।
कोई भी अकेला अभिमन्यु यह पराक्रम नहीं कर सकता, पर जरूरी है मनुष्य के भीतर का हर अभिमन्यु इस कोशिश का भागीदार बनें, अँधेरों को हराकर उजालों की जीत तभी हो सकती है कि जब हम ज्योति से ज्योति जलाने का अर्थ और मर्म समझें ।
आइये, हम सभी का अज्ञान मिटाने की कोशिश करें… हर व्यक्ति के भीतर करुणा–प्रेम और सत्य पर टिके रहने का, बढ़ाने का भाव जागृत करें… आशा और विश्वास से युक्त बनें, आलस्य–प्रमाद से रहित होकर श्रेष्ठ विचारों व कार्यों से जीवन को समृद्ध बनाएँ… सबमें उजालों की भूख जगाएँ… सबमें सफलता का विश्वास जगाएँ… ज्ञान के उजाले का हम स्वयं दीप बनें और उजाले की परम्परा को जीवित रखने की ‘विनम्र कोशिश‘ का संकल्प करें ! अज्ञान–तनाव–मनमुटाव–वैर–वैमनस्य–हिंसा–युद्ध– विनाशरूपी अँधेरे की चुनौती को स्वीकार करें और स्वयं को ज्ञान–प्रेम–करुणा–परस्पर हितकारी भाव–अहिंसा–शांति का आजीवन जगमगाता दीप बनाएँ ! ज्योत से ज्योत जगाएँ… अंतर तिमिर मिटाएँ !
थकना और थककर रुकना – दोनों स्वाभाविक है, पर रुककर बैठ जाना और मान लेना कि अब बढ़ना संभव नहीं है… यह पराजय का अँधेरा है… सच कहें तो आदमी की लड़ाई इसी अँधेरे से है ! नहीं, विजयी होना ही सफलता नहीं है – विजयी होने के लिए संघर्षरत रहना भी सफलता है ।
आओ, आशा का, विश्वास का, प्रेम का, सेवा का दीप जलाएँ !
– नारायण साँईं