बच्चों का बचपन मत छीनो, समय से पूर्व उन्हें बड़े बनाने के सारे प्रयास स्थगित कर दो । उन्हें नासमझी का आनंद लेने दो । उन्हें हँसने दो, रोने दो, खेलने दो, नादानी में जीने दो, बचपन की खुशियों में मस्त होने दो । समय के साथ प्राकृतिक विकास होने दो । क्योंकि बीता हुआ बचपन लौटकर नहीं आता। हो सके तो बच्चों के बचपन के साथ तुम भी कुछ समय बचपन में जी लो ! मजा ले लो ! तनाव से बचने का सरल रास्ता मिलेगा ।