माघी पूर्णिमा पर पूज्य श्री नारायण साँईं जी का एक खास पत्र आप सभी के लिए….
कैसे हो ? मजे में होंगे । एक खास बात कि – आज के सोशल मीडिया के वातावरण में हस्तलिखित पत्र लिखना और किसी के अपने लिए लिखे हुए पत्र को पढ़ना एक अनमोल आनंद देता है और उसका वास्तव में महत्व भी है । शायद यह पत्र पढ़कर आपको एहसास हो सकता है । आज भारत में भी सोशल मीडिया ने पारिवारिक जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है । व्यापार की तरह संबंध भी ऑनलाइन हो गए हैं । हमें इतना तो निश्चितरूप से समझना ही पड़ेगा कि सोशल मीडिया के द्वारा एक-दूसरे के हाल-चाल तुरंत ही पूछ सकते हैं परन्तु किसी के आँसू पोंछने के लिए तो उसके गाल को और उसकी आँखों को स्पर्श करना ही पड़ेगा । शब्दों से मात्र आश्वासन और अभिनंदन जरूर दे सकते हैं किन्तु आलिंगन के द्वारा दिया हुआ आश्वासन और अभिनंदन से मिली हुई या दी हुई अनुभूति एवं उसका मजा ही कुछ और होता है ! वैसा मजा 4G, 5G, 6G अरे 10G आ जाये तो भी वैसा मजा तो नहीं ही आ सकता ! नहीं आयेगा !
वास्तव में, आज के जमाने में सोशल मीडिया ने तो हमारे पास से स्पर्श और आलिंगन का सुख छीन ही लिया है । यह नुकसान कोई छोटा-मोटा नहीं है… यह सत्य हमें समझ में आ जाए और जितना जल्दी समझ में आ जाए तथा जितना जल्दी हम वापस आए उतना अच्छा ! यही हम सबके हित में है ।
नई जनरेशन अपनी निष्फलताओं के लिए पुरानी जनरेशन को जिम्मेदार समझती हैं और पुरानी जनरेशन अपनी दुर्दशा के लिए नई जनरेशन को जिम्मेदार समझती है।
परंतु, मेरी दृष्टि से जनरेशन गैप ये कोई समस्या नहीं है, यह तो स्वाभाविक सच्चाई है । समय के साथ बहुत कुछ बदलता रहता है । नई जनरेशन और पुरानी जनरेशन दोनों को परस्पर में समझने की निष्ठा विकसित करनी हो तो जनरेशन गैप यह एक दूषण नहीं, परंतु आभूषण बन सकता है ! तो आइए, हम सब आपस में केवल सोशल मीडिया से ही नहीं पर आत्मीयता के साथ आमने-सामने मुलाकात वाले संबंधों को विकसित करें, प्रत्यक्ष (रूबरू) मिलकर आश्वासन और अभिनंदन दे । पत्र लिखकर और पढ़कर अपनत्व बढ़ाएँ । कैसा ? सही है ना ?
– नारायण साँईं