क्या नहीं लगता कि फरियाद करना, शिकायत करना हमारी आदत सी बनती जा रही है ? थोड़ा गौर करना भीतर, पता चलेगा कि दूसरों की गलतियाँ देखने में हम हमारी गलतियों को देखना नजर अंदाज कर देते है । चलो छोड़ो, आज तक जो हो चुका…..आज और अभी से हम स्वयं को बदलने में लग जाए……मैं विश्वास दिलाता हूँ अगर हमने ऐसा कर लिया तो अकल्पनीय बेहतर दुनिया में रहने – जीने का हम अवसर प्राप्त करेंगे……जहाँ असीम आनंद, पूर्ण सुख होगा…….