पवित्र रमजान महिना चल रहा है । सभी मुस्लिम समाज के मुसलमान को बधाई हो ! जो मुसलमान हैं वो रोजे, नमाज, इबादत में सारे मशगूल होते हैं । शरीर के साथ मन और हृदय भी पवित्र हो जाता है । चारों और अलौकिक अध्यात्मिक माहौल का सृजन होता है । रमजान महीने में रोजे, नमाज़ के साथ सब्र, धीरज, प्यास, इबादत, त्याग और समर्पण का विशेष रूप से महत्त्व है । रमजान मास आपकी धीरज, सब्र और संयम की परीक्षा लेता है । आँखों में वजूद और पानी, होंठों पर प्यास होने के बावजूद एक घूंट पानी भी नहीं पीते है । कितनी चिलचिलाती गर्मी में, धूप में इतनी सारी उमस होने के बावजूद कुदरती खबर आ जाती है । इस्लाम में जकात का अनोखा स्थान है । 100 रुपये पर ढ़ाई रुपये और 40 रुपये पर एक रुपया जकात देना चाहिए । उससे जरूरतमंद को उसका हक मिले और परिवार भी सुखी रहे । उनको भी मदद मिले । ये परंपरा का, दान धर्म का हिंदू धर्म में भी महत्त्व है । जो हमारे पास है, उसका कुछ हिस्सा समाजसेवा में हम दे रहे । ईद की बेशुमार खुशी में शामिल होने वाले सभी को खूब-खूब बधाई… ! जकात जन्नत के दरवाजे में से एक दरवाजा है । जकात देनेवाले को तो सवा पुण्य मिलता है, लेकिन जो जकात देने का कारण बनता है उसको भी सवा पुण्य जाता है । जकात आपको कयामत के दिन आग में से बचाएगा । जकात पाक-परवरदिगार के गुस्से को ठंडा करेगा और कब्र की गर्मी में उनको ठंडक देगा । जकात दिल की पाकीज़गी का सामान है । जकात नेकी में बढ़ोतरी करता है । पाक-परवरदिगार जकात के स्वभाव को बढ़ाते रहते हैं । जकात देनेवाले चेहरे की चमक बढ़ाता है । जकात कयामत की तकलीफों के दर्द से आपको बचाता है । जकात देनेवालों में पीछे बीत गए समय के ऊपर अफसोस नहीं होने देता । जकात आपके अपराधों की माफी का सामान है । जकात दोगे, तो फरिश्ते आपके लिए दीया करेंगे । जकात देना नेकी भलाई की निशानी है और जकात देनेवाले अच्छे लोगों में उसका प्रभाव हर व्यक्ति को मिलता है । इसमें संदेह नहीं है । जकात देनेवाले कई मुस्लिमों को रमजान की बधाई… ! ईद मुबारकबाद… !

 

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