
पूज्य श्री नारायण साँईं जी का स्वामी शिवानंद जी के लिए विशेष श्रद्धांजलि संदेश…
स्वामी शिवानंद जी उर्फ शिवराम भाई रायचंद भाई पटेल जो पिछले कुछ वर्षों से पुष्कर में रहते थे और मेरे पिताश्री के आध्यात्मिक जीवन के तकरीबन प्रारंभ से ही – साधना काल से ही जुड़े थे – साथ थे । पता था कि उनका स्वास्थ्य कुछ दिनों से खराब था और अब दिनांक 3 दिसंबर 2018 सोमवार को उनका वैकुंठगमन हुआ है । वे मुझसे बहुत ही स्नेह करते थे और चाहते थे की पूज्य बापूजी की विरासत का उत्तराधिकारी बनकर उसे और आगे बढ़ाऊँ और बीज से वटवृक्ष बने इस आध्यात्मिक परिवार का नेतृत्व करुं ! उन्होंने अपना जीवन गुरुदेव की आज्ञा अनुसार बिताया था । उन्होंने मेरे पिताश्री के साधनाकाल से लेकर साथ दिया, सहयोग दिया, उनके प्रति समर्पित होकर ईश्वरीय दैवी कार्यों को विकसित करने के लिए योगदान दिया । बड़ी व्यथा हुई कि उनके अंतिम समय मैं उपस्थित नहीं रह पाया । उनके सभी परिवारजनों अमरतभाई शिवराम भाई पटेल, विट्ठल भाई शिवराम भाई पटेल, रमेशभाई श्री राम भाई पटेल, हरगोवन श्री कांतिभाई, श्री जगदीश भाई – सभी को मैं इस दुख की बेला में सांत्वना देता हूँ और हम सभी प्रार्थना करें कि ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे । ऐसी आत्माओं का इस धरा पर बार-बार अवतरण हो ! वे ज्ञान में, भक्ति में अच्छी ऊँचाइयों को प्राप्त कर चुके थे । जीते जी मुक्ति का अनुभव उन्हें हो चुका था । सूखा पता जैसे पेड़ से गिर पड़ता है लेकिन इससे पेड़ को शोक नहीं होता ठीक उसी तरह से वे आत्मा में प्रतिष्ठित हो गए थे कि शरीर की पीड़ा कभी उनको अपनी पीड़ा लगी ही नहीं । वे सुख-दुख, हर्ष – शोक से पार हो गए थे ! 98 वर्ष की उम्र में, उन्होंने शरीर त्याग कर दिया – पर शरीर के देहाध्यास का तो कब से उन्होंने त्याग कर दिया था ! वे एक महापुरुष थे ! उनकी स्मृति, उनका स्नेह, उनकी आत्मीयता को मैं जीवनभर भूल नहीं सकता ! वे मेरे लिए मेरे दादाजी के समान थे । चूंकि वे मेरे पिताजी के शिष्य थे पर उनके स्नेह ने मुझे कभी दादाजी की कमी को महसूस नहीं होने दिया ! दिनांक 7 दिसंबर 2018 को सूरत के अलथाण में कम्युनिटी हॉल (सोहम सरकल) में प्रार्थना सभा आयोजित की है ऐसा समाचार पत्र के माध्यम से 6-12-18 को जानकारी मिली । आसमां में सूर्योदय होना ये सुबह की निशानी है और जीवन में सद्गुरु मिलना – सद्भाव की निशानी है । गुरु की बनाई दिशा के अनुसार आगे बढ़ना – ये सौभाग्यशाली आत्माओं के द्वारा ही संभव होता है । स्वामी शिवानंदजी, एक ऐसे ही महान आत्मा थे । उन्होंने कई निराश – हताश हुए गुरु भक्तों को गुरु चरणो में डटे रहने के लिए प्रेरित किया था, उत्साहित किया था । अच्युताय हरिॐ साधक परिवार, अखिल भारतीय योग वेदान्त सेवा समिति व संत आशारामजी आश्रम के सभी समर्पित साधक-साधिकाओं की तरफ से मैं स्वामी शिवानंद जी को हार्दिक श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ । उनका जीवन आगे भी अनगिनत लोगों को प्रेरित करता रहेगा । उनका परोपकारी, मिलनसार, सेवा भावी स्वभाव हमें उनकी स्मृति दिलाता रहेगा । स्वामी शिवानंद जी शरीर से हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके मधुर स्वभाव, उदार व्यवहार गुरुचणाश्रित रहकर आज्ञाकारी बने रहने की आजीवन निष्ठा जैसे कई सद्गुणों की स्मृति हमारे दिलों-दिमाग में जिंदा रखेगी – हयात रखेगी । उन्होंने उनका जीवन सफल व सार्थक बनाया इसमें संदेह नहीं है । उनका जीवन व कर्म आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित व मार्गदर्शित करेंगे । दिनांक 7-12-18 को उनके परिवार के बीच, मैं मिलने गया व स्वामी शिवानंद जी को श्रद्धांजलि समर्पित की । इन्हीं शब्दों के साथ लेखनी को विराम देता हूँ ।
आपका आत्मस्वरूप
नारायण साँईं “ओहम्मो”
(सूरत जेल)
7 दिसंबर 2018
Comments (2)
Gajendra Mahajan
December 15, 2018 2:23 pmOhhmmo
Rahul Rathee
December 16, 2018 7:32 amपूज्य साई जी का मधुर उदगार पढ़ कर बडा आछा लगा, शिव्लाल काका के जीवन से प्रेरणा मिलती हैं की हम भी अपना जीवन गुरू अज्ञा में बिताए, भगवान् करे की साई जी और बापू जी जल्दी से जल्दी निर्दोष बाहर आए ।